गोविन्द कुमार गुप्ता
वो बारिश वाली राते,
वो मीठी मीठी बातें,
वो दौड़के छत पर जाना
वारिश में खूब नहाना,
बड़ा अच्छा लगता है,2,।।
बरसात झमाझम होना,
वो ख़्वावो में है खोना,
पानी जब बहने लगता,
कागज की नाव चलाना,
बड़ा अच्छा लगता है,2।।
वो ठंडी ठंडी लगती,
वो चिपक के देखो रहती
कमरे में भी है तनकर ,
वह लिपट लिपट कर सोती,
चादर कहते है उसको,
उसकी ही याद है आना,
बड़ा अच्छा लगता है, 2।।
गोविन्द कुमार गुप्ता,
मोहम्मदी लखीमपुर खीरी उत्तर प्रदेश