सकारात्मक सोच

अतुल पाठक " धैर्य "

चुनौतियों को स्वीकार कर,

हौंसलों की उड़ान भर।

मुश्किलों का काम तमाम कर,

खुद पे तू विश्वास कर।


न गुमान कर इस रंग-रूप पर,

न ग़ुरूर कर इस धन-दौलत पर।


न कुछ साथ आया था, 

न कुछ साथ जाएगा।


ज़िन्दगी क़ुदरत का इक हसीन तोहफ़ा है,

इसे दिल से क़बूल कर।


दो पल की ये ज़िन्दगी है ,

इसे बेहतरी से जिया कर।


उम्मीद की किरण फिर जागेंगी,

इसलिए मुस्कान बिखेरो चेहरे पर।


मिट्टी की सोंधी सी ख़ुशबू,

दूर तलक छा जाती है।


बारिश की रिमझिम बूंदों से,

दिल की ज़मी भी नम हो जाती है।


ख़ुशियों की चाहत के फूल भले ही आज मुरझा से गए हैं,

पर हिम्मत बरक़रार रखा कर।


उमंगे भरकर बहारें इक दिन आएंगी,

खुशियों के रंगों से सजा इंद्रधनुष साथ लाएंगी। 


आएगा वही मौसम ख़ुशनुमा ज़िन्दगी का,

बस थोड़ा धैर्य रख कर कैद रहो अपने घरों पर।

मौलिक/स्वरचित रचना

रचनाकार-अतुल पाठक " धैर्य "

पता-जनपद हाथरस(उत्तर प्रदेश)

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