फीलिंग

आलिया खान

Hlo......


कैसे हो आप आज मेरा मन ना जाने क्यों इतना व्याकुल है ऐसा लगता है मानो कोई अनहोनी होने वाली है एक अजीब जा डर मेरे दिल मे घर कर गया है l

आप की मुझे बहुत याद आ रही है आप मुझे से दूर भी तो 

इतने हो, पास आना भी चाहू तो आ भी नहीं सकती हुँ 

शायद इसलिए ही मरा मन परेशान है आप होते तो....

आप के कंथे पर सर रख कर ढ़ेरो बातें करती कुछ अपनी कहती कुछ आप की सुनती........ 

आप की वो मस्त कर देने वाली मुस्कान गज़ब ही है उस को देखते ही मै अपना हर दर्द भूल जाती थी याद है ना आप को मुझे उस दिन कितना तेज़ बुखार आ रहा था सुबह उठाने की भी हिम्मत नहीं थी आप ने मेरे सर पर हाथ रखते हुए कहाँ जानेमन लगता है आज पति सेवा का मुड़ है आप का........

कहते हुए मुस्कुराने लगे मैंने भी हा मै सर हिला दिया तो क्या हुआ रोज़ मै करती हुँ आज एक दिन आप ही कर लो पत्नी सेवा वैसे नसीब वालो को मिलता है आप भी आज इस सेवा का फायदा उठाओ, 

अच्छा जी.... मै फायदा उठाऊ कुछ और बोलती तो सोचता भी ये सेवा वेवा अपने से नहीं होती है मुझे याद है आप ने पानी भी खुद से नहीं पिया था कभी पर उस दिन मेरे लिए आप ने किचिन की शकल देखी थी जाते ही अपने आवाज़ लगाई अरे ! अब चाय किस मे बनती है यहाँ तो इतने बर्तन है मैंने कहाँ वही गैस के पास छोटा सा बर्तन है उस मे...... 

अरे यार, तुम मुझे बताओ तो अब क्या क्या करू मुझे तो कुछ समझ ही नहीं आ रहा, कौन सा समान कहाँ है क्या डालना है इसमें, हा हा बताती हुँ नहीं तो पता चले पुरे रिश्ते दारो के लिए चाय बना कर बैठ जाओगे, अरे यार तुम तो मेरा मजाक बना रही हो कभी कुछ करने दिया है मुझे तुम दोनों साँस बहुओ ने पहले माँ ने भी बैठ कर ही सब दिया फिर तुम आ गई तुमने भी कभी आने ही नहीं दिया मुझे तो कभी मौका ही नहीं मिला किचिन मे अपने दर्शन देने का कहते हुए जोर से हँसने लगते है मै भी मंद मंद मुस्काती हुई खुद ही शर्मा गई, 

एक तो हालात इतनी ख़राब थी मेरी पर आप का प्यार देख कर मुझे मे भी थोड़ी हिम्मत आ गई मे भी धीरे धीरे चल कर किचिन मे आ गई...... 

आप ने मुझे बहुत जोर से डाटा मै एक दम से उझल गई 

यहाँ क्यों आई हो उठा जा नहीं रहा है और यहाँ वहां टहलने निकल पड़ी जाओ लेटो जा कर मुझे बताती जाओ मै कर रहा हुँ ना फिर क्यों? 

अरे ! बाबा रे इतना गुस्सा क्यों हो रहे है देखो तो गाल लाल लाल हो गए है बिलकुल टमाटर की तरह ये बोलते हुए मैंने आपके गाल नोच दिया थे l 

अरे यार अब माखन ना लगाओ चुपचाप से जा कर वहां बैठो चलो जाओ भी अब की मेरी चाय को नज़र लगानी है बनने से पहले ही, नहीं नहीं जी नज़र नहीं लगानी आप बनाओ मै बोलते हुए बाहर सोफे पर आ कर बैठ गई.... 

आप भी चाय बिस्किट नमकीन के साथ आ गए सोफे पर बैठते हुए बोले मैडम जी लीजिए...... 

पति देव के हाथो की पहली चाय मेरी प्यारी सी बेगम के नाम बहुत खुशकिस्मत हो तुम जो मेरे हाथो की चाय पी रही हो चाय उस दिल बहुत अच्छी बनी थी मैंने कहाँ भी अब तो मै सोच रही हुँ कभी ठीक ही ना हुँ इतनी अच्छी चाय पीने को तो मिलेगी फिर तो आप कभी बनाने वाले भी नहीं है आज तो ना जाने कैसे रहम आ गया इस बंदी पर आप को.... 

अच्छा अच्छा मतलब रोज़ बीमार ही पड़े रहना है तुम्हे ठीक नहीं होना है सुन लो रोज़ रोज़ सेवा नहीं करुँगा नहीं तो तुम बिगड़ जाओगी कल को सब मुझसे ही कराओगी ना बाबा ना ये सब नहीं होता मुझसे ये कहते हुए अपने मेरी तरफ देखा तो मैंने भी आप को आँख मार दी तो हँसने लगे देखो देखो एक चाय मे ये हाल है मैडम का अभी से बिगड़ गई तुम तो आगे तो राम जाने रे ! मेरा क्या होगा, 

आज मुझे वो लम्हा याद आ गया, याद आते ही देखो मेरे चेहरे पर कितनी हँसी है खिला उठी हुँ मै एक मुरझाये हुए फूल मै जान आ गई हो मेरा डर भी थोड़ा कम हो गया है अब, 

आप को ज़ब ये खत मिले तो पढ़ के परेशान ना होना मै ठीक हुँ बस आप के बिना अकेली हो गई हुँ दिन तो कैसे भी कर के काट लेटी हुँ, ज़ब बिस्तर पर जाती हुँ उस वक़्त खुद को अकेला पाती हुँ, 

उस वक़्त मुझे वो कमरा कटाने को दौड़ता है आप का तकिया मुझे से पूछता है कब आएगा मेरा मालिक कब मुझे पर अपना सर रखे कर सुकून की नीद सोयेगा...... 

आपकी अलमारी सवाल करती है मै ऐसे कब तक खाली खाली रहूँगी मुझे कभी आदत नही ना ऐसे खाली रहने की..... 

आपकी मेज कुर्सी आप के ना होने से दुखी है बहुत, आप की किताबों के पन्ने बेजान से पड़े हुए है मानो बोल रहे हो कब खोला जाएगा हमें कब तक हम ऐसे बंद पड़े रहे l

और हा आप की वो पसंदीदा खिड़की जहाँ आप रोज़ बैठ कर चाय की चुसकियाँ लिया करते थे वो तो एक दम बीरान हो गई है मै बैठती तो हुँ उस के पास जाकर पर लगता है जैसे वो मुझे से ही खफा हो गई है मुँह ही फेर लिया है उसने तो मुझे से, जैसे बोल रही हो क्यों भेजा है उसे मुझे से दूर पता भी है वो इतनी शायरियाँ लिखी है उसने मेरे पास बैठ कर..... 

मुझे सुनाता था? कभी चाँद के ऊपर तो कभी इस मौसम के, उसे यहाँ बैठ कर सब मिल जाता था आज वो नहीं है तो मेरा दिल रो रहा है तुम्हे क्या पता...... 

आज से पहले वो कभी इतने दिनों के लिए नहीं गया है ज़ब से उसने ये घर बनाया है तब से लेकर उसके हर हालात, हर गम से लड़ते देखा है मैंने उसे पर कभी भी खुद से हारा नहीं है ज़िन्दगी की कैसी भी जंग हो जीता ही है पर अब लगता है डर मुझको कही अब हार ना मन ले ज़िन्दगी से आज जो लड़ाई वो लड़ रहा है दूआ करती हुँ जीत कर आएगा फिर से मेरे इस बीरान पड़े हुए झरोखे को देखे अपनी कहानियाँ, कविताएं सुनाये क्या हो सकता है ऐसा आएगा ना वो मेरे पास काश तुम उसकी बातो मै ना आकार पहले ही हॉस्पिटल भेज देती तो उसका इलाज यही हो जाता उसे इतनी दूर ना जाना पड़ता...... 

पर तुम उसकी बातो मै आ गई, तुम तो सो जाती थी रात को पर मैंने देखा है कैसे पूरी पूरी रात वो बेचैन रहता था उसे खासी आती तो मुँह पर कपड़ा रख लेता था ताकि तुम उसे देख कर परेशान ना हो जाओ हर बात उसने तुम से छुपाई है पर मेरी नज़रो से कैसे छुप सकता है कुछ भी मै, चुपचाप उसे देखती रहती मै तो बेजान हुँ ना कुछ बोल नहीं सकती थी पर तुम तो सब देख सुन सकती थी ना फिर क्यों नहीं किया तुमने ख्याल, किया होता तो आज हम दोनों यूँ अकेले तन्हा ना होते........ 

पर अब क्या कर सकते है ज़ब भी तुम मेरे पास आती हो ना मुझे बहुत गुस्सा आता है तुम पर और खुद पर भी काश भगवान ने हमें भी जुबान दी होती या तुम इंसानों को हमारी बातें सुनने की शक्ति, तो आज ये दिन ना देखना पड़ता l

आज जानते हो मुझे इसकी दिल की आवाज़ सुनाई दे रही है सही ही तो बोल रही है ये काश मै पहले समझ पाती आज आपकी बातें याद आ रही है मुझे आप बोलते थे ना फ़ील करोगी तो सब समझ आएगा ये सब भी बातें करते है मुझे से तभी तो मै लिखता हुँ दुनियाँ की हर चीज बोलती है बस उसको समझने वाला चाहिए ये किताबें, ये आसमान, धरती, चाँद, सितारे, दीवारे, सब कुछ ना कुछ कहती है हम से, पर उस वक़्त मै आपकी बातो पर बहुत हँसती थी आपका मज़ाक बनती थी बोलती थी लेखक जी पगला गए है कुछ भी बोलते और समझते है भला ऐसा भी कभी होता है क्या? 

पर आज मैंने भी इन सब की आवाज़े सुनी है दिल से महसूस किया तो लगा आप सच ही बोलते थे इनको भी हमारी ही तरह दर्द होता है सुख दुख समझ आता है ये भी हँसते और रोते है बस अपनी बातो को बेज़ुबान होने की वजह से बोल नहीं पाते है पर महसूस सब करते है l

आज मान गई आप को फ़ील करना क्या होता है अपने मुझे भी सीखा दिया मेरी सोच को गलत कर दिया इंसान ही नहीं फ़ील करते है दुनियाँ की हर चीज फ़ील करती है l

आज आप को सब लिख कर पता है मेरे दिल को कितना सुकून मिला मै बता नहीं सकती लिखने से पहले जो दिल मे डर था अब कुछ कम हो गया है मेरा मन भी अब हल्का हो गया आप से सब कुछ बोल कर......... 

आज देखो तो बातें करते करते मैंने इतना कुछ लिख दिया कभी सोचा नहीं था मै इतना लिख पाऊंगी...... 

चलो जी आप भी आराम करो लो आप भी थक गए होंगे 

इतना सब कुछ पढ़के अपना ख्याल रखना जी......... 

आप को जल्द ही ठीक हो कर आना इन सब के लिए जो आपको मुझसे भी ज्यादा प्यार करते है मुझसे ज्यादा तो इन सब को इंतज़ार आप के आने का आप जल्दी से ठीक हो कर आ जाए हम सब के लिए आप का इंतज़ार करेंगे हम....... 

आपकी जान


Popular posts
अस्त ग्रह बुरा नहीं और वक्री ग्रह उल्टा नहीं : ज्योतिष में वक्री व अस्त ग्रहों के प्रभाव को समझें
Image
गाई के गोवरे महादेव अंगना।लिपाई गजमोती आहो महादेव चौंका पुराई .....
Image
सफेद दूब-
Image
ठाकुर  की रखैल
Image
गीता का ज्ञान
Image