ग़ज़ल. 1.
मुहब्बत में हद से गुज़रने लगे।
नज़र यूँ मिली प्यार करने लगे।
नहीं चैन मिलता कहीं आज - कल
नज़र से नज़र बात करने लगे।
लगें मिलने हर रोज़ छुप छुप के हम
बैचेनी, बेकरारी में ढलने लगे।
उन्हें जब से माना मुहब्बत खुदा
मुझे लोग कहते कि बदने लगे।
असर इश्क का आज छाया ऐसा
सभी अंजु कहते निखरने लगे।
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गजल.2.
हर तरफ ही जलजला है
झूठ का ही सिलसिला है
मतलबी है ये जमाना
झूठ का ही काफिला है
कर्म करले सोचना क्या
कर्म से सब कुछ मिला है
क्या है तेरा क्या है मेरा
बे-बजह मन का गिला है
जो होना है तय है होगा
ये ख़ुदा का फैसला है
ग़ज़ल.3.
दिल से अपना तुम बनाना साथियो
रस्मे- उल्फ़त को निभाना साथियो
खून का रिश्ता बहुत अनमोल है
टूटने से तुम बचाना साथियो
कल कोई हो या न हो किसको पता
प्यार सब पर तुम लुटाना साथियो
रुठ जाये कोई अपना तुमसे जो
प्यार से उसको मनाना साथियो
क्या भरोसा ज़िन्दगी का है यहाँ
दिल किसी का मत दुखाना साथियो
ग़ज़ल.4.
आग पर मुझको चला कर देख लो
चाहे दरिया में डुबा कर देख लो।
पास कर जाऊँगी सारे इम्तिहां
हर तरह से आज़मा कर देख लो।
ज़हर भी पी लुंगी हाथों से तेरे
प्यार से मुझको पिला कर देख लो।
रंग लायेगी हमारी दोस्ती
दोस्ती मुझसे निभा कर देख लो।
अंजुमन की शान होगी अंजु से
अंजुमन में फिर बुला कर देख लो।
इक ग़ज़ल कुछ यूं हुई
राह चलते - चलते, उनसे बात मेरी हो गई
दर्दों ग़म से आज़ फिर, मुलकात मेरी हो गई
जो मुहब्बत दफ़्न सीने में थी, क्यों ताज़ा हुई
आज़ दोबारा ताज़ा , जज़्बात मेरी हो गई
देखकर उनको, मेरी आँखों के पर्दे नम हुए
क्यों अचानक, आँखों से बरसात मेरी हो गई
उनकी यादों में मेरा दिल, रात भर रोया बहुत
सोचकर वह बात, दिन से रात मेरी हो गई
ख़ून के आँसू रुलाया था , मुहब्बत में कभी
उस घड़ी कितनी बुरी , हालात मेरी हो गई
लड़खड़ाई इश्क़ में थी,इस क़दर की देख लो
दो टके की आज़ तो , औक़ात मेरी हो गई
साथ मांगा अंजु हमने, ज़िन्दगी भर के लिये
ग़म-ए- तन्हाई की अब शुरुआत मेरी हो गई
अंजु दास गीतांजलि
✍️पूर्णियाँ, बिहार की क़लम से 🙏🌹🙏