पृथ्वी राष्ट्र, पृथ्वी सरकार और और पृथ्वी नागरिकता की आन्दोलन संस्था वर्ल्ड नेचुरल डेमोक्रेसी (डब्ल्यूएनडी) के अध्यक्ष एवं विश्ववादी दार्शनिक जावैद अब्दल्लाह ने किसान एकता मोर्चा के समर्थन में महात्मा गाँधी की 73वीं पुण्यतिथि 30 जनवरी को सद्भावना दिवस के रूप मनाते हुये सुबह नौ बजे से संध्या 5 बजे तक उपवास रखा। इस अवसर पर डब्ल्यूएनडी अध्यक्ष जावैद अब्दुलाह ने कहा कि 26 जनवरी का दिन राज्य-परिकल्पना के इतिहास का सबसे छोटा और काला दिन था, जहाँ एक तरफ़ जय जवान की परेड थी तो दूसरी ओर जय किसान की परेड। यह घटना दर्शाती है कि सरकारें अपनी परिभाषायें भूल रही हैं और वो ये भी भूल रही हैं कि उनका वजूद क्योंकर हुआ। घटनावश देश-काल का प्रसंग जो भी हो, सरकारें यही ढर्रा अपनाती रही, तो वो दिन दूर नहीं जब प्रत्येक नागरिक अपना सम्पूर्ण सामाजिक अनुबंध तोड़ डालेगा। जो लोग भी यह कह रहे हैं कि चौरी चौरा कांड के बाद महात्मा गाँधी ने अपना आन्दोलन वापिस ले लिया था लिहाज़ा किसानों को भी अपना आन्दोलन वापिस लेना चाहिये, तो क्या यह मान लिया जाये कि यह लोकतंत्र भी अंग्रेज़ी हुकूमत का ही देसी रूप है? बहरहाल सरकारें आती-जाती रहेंगी लेकिन किसी भी सरकार और उसके तंत्र में सभी समुदाय के जन अधिकार विशेषकर किसान-मज़दूर और शिक्षक-विद्यार्थी के लिए स्थान नहीं है, तो फिर उस सरकार और उसके तंत्र को समाप्त कर देना ही संसार के लिए एक नई सुबह और नई शुरुआत है। ज्ञात हो कि किसान नेताओं ने दिल्ली के सिंघू बॉर्डर पर एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए दिन भर उपवास रखने का निर्णय लिया गया था और देश के लोगों से किसानों के साथ जुड़ने की अपील की।