मकर संक्रान्ति आज फिर से है आई ।
लोहड़ी व पोंगल की लख लख बधाई ।
एकता का मधुर ये है संदेश लायी।
जो रसोई घरों में है खिचड़ी पकाई ।
फिर महकने लगे राजपथ सज सुहाने ।
अब विहग गा उठे मंजु मंजुल तराने ।
फिर लगा कोकिलों का है कलरव सुनाने ।
आहट मधुर मास की है लगी आज आने।
नील नभ में पतंगे पतंगे ही छायी ।
हर तरफ देख लो दी उमंगें दिखाई ।
मकर संक्रान्ति आज फिर से है आयी ।
लोहड़ी व पोंगल की लख लख बधाई।
सुषमा दीक्षित शुक्ला