बतकही: लोकप्रिय साप्ताहिक दि ग्राम टुडे में श्रेष्ठ कवयित्री श्रीमती छाया त्यागी से भूपेन्द्र दीक्षित का ओजस्वी साक्षात्कार
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मोदीनगर , गाजियाबाद की लोकप्रिय साहित्यकार श्रीमती छाया त्यागी सीतापुर जिले में हिंदी की बढ़ोतरी के प्रयास कर रही हैं। इनके पति बैंक में मैनेजर हैं ,जिसके चलते वे सीतापुर आईं। बीते एक वर्ष में ही उन्होंने जिले के साहित्यकारों में अपनी एक छाप छोड़ी है। जनपद की सक्रिय सामाजिक संस्थाओं में वे सक्रिय भूमिका निभा रही हैं और उन्होंने महिला साहित्यकारों को संगठित कर राष्ट्र संरक्षण परिषद का निर्माण भी किया है, जिसमें वे अपनी भाषा और संस्कृति के संरक्षण के लिए जुटी हुई हैं ।अब तक उन्होंने 75 महिलाओं को इस संस्था से जोड़ा है।प्रस्तुत है छःराज्यों तक अपनी साहित्यिक पहुंच रखने वाले लोकप्रिय साप्ताहिक दि ग्राम टुडे के उप संपादक श्री भूपेन्द्र दीक्षित से श्रीमती छाया त्यागी की एक अंतरंग बातचीत।
भूपेन्द्र दीक्षित-अपने साहित्यिक परिवेश के बारे में बताइये ।आप पर किन साहित्यकारों का अथवा ग्रंथों का प्रभाव पड़ा?आपका जन्म कब ,कहां हुआ?आप किन साहित्यकारों से प्रभावित हुईं?आप पर किस कृति का प्रभाव बहुत पड़ा? माता-पिता, परिवार आदि के बारे में संक्षेप में बताएं।आपकी शिक्षा दीक्षा ,कार्य आदि के विषय में पाठक जानना चाहते हैं।
छाया त्यागी- दो नवम्बर मोदीनगर, गाजियाबाद ,उत्तर प्रदेश में मेरा जन्म हुआ। महादेवी वर्मा, अमृता प्रीतम, सुमित्रानंदन पंत जी के काव्य ने प्रभावित किया।
सांध्य गीत, दीपशिखा, कोरा कागज आदि प्रसिद्ध कृतियों ने प्रभावित किया।
मेरे पिता जी शिक्षक थे और मां साधारण धार्मिक एवं संस्कारी गृहस्थ महिला,जिनके संस्कारों ने मेरे जीवन पर गहन छाप छोड़ी।मेरे पति बैंक में मैनेजर हैं। मेरी शिक्षा दीक्षा स्नातकोत्तर तक मेरठ विश्वविद्यालय, कम्प्यूटर इंजीनियरिंग तकनीकी शिक्षा बैंगलोर, चंडीगढ़, व जोरहाट से तथा वैदिक ज्ञान पर शोध प्रबंधन काशी में हुआ। मैंने शिक्षण कार्य टाटा इनफोटेक.एस,वी,एम, कम्प्यूटर केन्द्र एयरफोर्स एवं केन्द्रीय विद्यालय में किया।
भूपेन्द्र दीक्षित- आप किन किन संस्थाओं से जुड़ी हैंऔर वर्तमान में किस संस्था से जुड़ी हैं?
छाया त्यागी -सबसे पहले 1992 मे हिंदी सेवा साहित्य मंच मोदी नगर, 2003 से रीडर्स राइटर्स सोसाइटी आफ इंडिया चंडीगढ़, पंजाबी कवि दरबार चंडीगढ़, युवा काव्य मंच चंडीगढ़, सारंग चंडीगढ़ से जुड़ी।
वर्तमान मे सीतापुर मे हूँ,अंत:यहां की संस्थाओं से जुड़ाव स्वाभाविक है। यहां हिन्दी सभा सीतापुर, संस्कार भारती, साहित्य संगम अन्नपूर्णा, भाषा भारती के कार्यक्रमों मे निरंतर सक्रियता है।
भूपेन्द्र दीक्षित-हिंदी सभा साहित्यिक संस्था के इतिहास के बारे में बताएं। यह आपको क्यों प्रभावित करती है?
छाया त्यागी-हिंदी सभा सीतापुर 1940 में स्थापित हुई थी।तब से अब तक निरंतर कार्यशील है। अनेक मूर्धन्य साहित्यकारों का आगमन इस धरती पर हुआ है। वर्तमान में साहित्य को प्रश्रय देने में इसकी महती भूमिका है।
राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन की सत्प्रेरणा से हिंदी सभा सीतापुर की स्थापना 31 अक्टूबर 1940 को हुई ।पंडित कृष्ण बिहारी मिश्र, डा नवल बिहारी मिश्र, श्री विश्वम्भर नाथ मेहरोत्रा जी जैसे संस्थापकों के सद्प्रयासों ने शीघ्र ही हिंदी सभा को उत्तर भारत का सबसे प्रमुख साहित्यिक तीर्थ बना दिया, जड़ों की गहराईयों ने आज भी इस संस्था को युवा बनाये रखा है। हिंदी साहित्य के अत्यंत लोकप्रिय व्यक्तित्व सुदामा के चरित्र के रचयिता महाकवि नरोत्तमदास की जन्मस्थली रहा है यह जनपद, जिसमें ब्रजभाषा से लेकर अवधी, खड़ी बोली के ख्यातिलब्ध साहित्यकारों ने सीतापुर को राष्ट्रीय पटल पर स्थान दिलाया,1924 में मिश्र जी माधुरी मासिक पत्रिका के संपादक बने, जिसका सम्पादन मुंशी प्रेमचंद व शिवपूजन सहाय जैसे साहित्यकार कर चुके थे, समालोचक पंडित कृष्णबिहारी मिश्र, वैज्ञानिक कथाओं के आदिलेखक डा नवल बिहारी जी, पंडित बलभद्र प्रसाद दीक्षित पढीस, वंशीधर शुक्ल दादा, अनूप शर्मा जी, कृष्णदत्त त्रिवेदी जी , केदारनाथ त्रिवेदी,पंडित रामस्वरुप अवस्थी रूप जी, डा अवधेश सिन्हा, चक्रधर अवस्थी,कुंवर चन्द्रप्रकाश सिंह,रामजीदास कपूर रम्मन जी, सुजान जी, उमाशंकर दत्त सारस्वत, सोम दीक्षित जी, डा सारस्वत, मधुप जी, डा अरुण त्रिवेदी जी, डा रमेश मंगल बाजपेयी ,डा•ज्ञानवती सहित अन्यान्य साहित्यकारों व कवियों ने जनपद की साहित्यिक मर्यादा में श्रीवृद्धि की और निरंतर कर रहे हैं।
भूपेन्द्र दीक्षित-सीतापुर की सांस्कृतिक , साहित्यिक धरोहर के विषय में बताएं।
छाया त्यागी-सीतापुर साहित्यकारों का गढ़ रहा है ।यहां निरन्तर साहित्य की निर्मल धारा प्रवाहित होती रही है!
महान साहित्यकारों महादेवी वर्मा, सुभद्राकुमारी चौहान,जयशंकर प्रसाद जी आदि के चरण इस भूमि पर पडे हैं! वर्तमान मे भी आदरणीया विनोदिनी रस्तोगी जी शची रानी जी, डां ज्ञानवती दीक्षित जी लेखन की परंपरा को अक्षुण्ण बनाये हुए हैं और अभी भी उपयोगी साहित्य रच रही हैं। यह मां ललिता की भूमि है।यह महर्षि दधीचि की भूमि है और मनोज पांडे जैसे शूरवीरों की भूमि है, जिनकी शहादत को नही भुलाया जा सकता है।
भूपेन्द्र दीक्षित-छाया जी, साहित्य के क्षेत्र में आप अत्यंत सक्रिय रहीं हैं।अपने अब तक के कार्यों के बारे में बताएं?
छाया त्यागी-वैब मल्टीमीडिया के साथ ही साथ विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में मेरी रचनाएँ प्रकाशित होती रही हैं। मैं अनेक कवि सम्मेलनों एवं काव्य गोष्ठियों में निरंतर काव्यपाठ करती रही हूं एवं मंच संचालन, साहित्य स्थान के साथ साथ समाज सुधार के कार्यों मे सेवारत रही हूं तथा विभिन्न साहित्यिक मंचों द्वारा आयोजित कार्यक्रमों मे निरंतर सक्रिय रही हूं।
भूपेन्द्र दीक्षित-आपने सामाजिक क्षेत्र में क्या क्या किया ?
छाया त्यागी-1992 में विद्यार्थी काल में राष्ट्रीय सेवा योजना से जुडकर मिनिस्टरी आफ हयूमैन रिसोर्सज डैवलपमैंट गवर्नमेंट आफ इंडिया द्वारा प्रशिक्षित होकर यूथ एवं सोशल डेवलपमेंट के कार्यो में संलग्न रही हूं।
मैंने कालिजों यूनिवर्सिटीस मे में यूथ के चारित्रिक विकास के लिए मोटिवेशनल लैक्चर आयोजितकिए,
पिछले 30 वषोॅ से निरंतर महिलाओ की योग कक्षाएं संचालित ! मैंने150 महिलाओं, बच्चों को एवं 200 मिलिटरी जवानों को कम्प्यूटर मे प्रशिक्षित किया ।
भूपेन्द्र दीक्षित-बहुत सुंदर छाया जी।आपके कार्य अत्यंत सराहनीय हैं।आपकी दृष्टि में साहित्य क्या है?किन साहित्यकारों का साथ रहा? कोई उल्लेखनीय संस्मरण सुनाएं।
छाया त्यागी-साहित्य समाज का आईना होता है। जैसा दिखता है, वैसा लिखता है।
1990 से निरंतर वरिष्ठ साहित्य कारों का मार्गदर्शन मुझे मिल रहा है!।सबसे पहला वाकया तो आज तक स्मरणीय है, जब मेरे पिता ने 1990 मे मोदी नगर में दशहरा के पावन अवसर पर होने वाले विराट कवि सम्मेलन मे मुझे मंच तक पहुँचाया था और उसमे डा• हरिओम पवार, डां कुंवर बेचैन जी जैसी अनेक महान हस्तियां मौजूद थीं। यह अवसर अभी तक मेरे लिएअविस्मरणीय है और मेरी पहली कृति नौरंगिनी काव्य संग्रह का विमोचन 2007 मे डां कुंवर बेचैन जी के कर कमलों से हुआ। उनके द्वारा लिखित विज्ञप्ति आज तक सुरक्षित और अविस्मरणीय है। एक वर्ष से सीतापुर में हूँ ,तब से आदरणीया विनोदिनी रस्तोगी जी, डा• ज्ञानवती दीक्षित जी, हिन्दी सभा के अध्यक्ष श्री आशीष मिश्र जी, श्री रजनीश मिश्र जी, अंबरीश श्रीवास्तव अंबर जी, श्री गोपाल सागर जी, अन्नपूर्णा संस्थान के अध्यक्ष अनिल द्विवेदी जी, अवधेश शुक्ला जी और राजभाषा अधिकारी श्री विकास श्रीवास्तव जी, श्री श्री मृदुल मौर्य जी, श्री आलोक सीतापुरी जी और श्री दिनेश राही जी सभी वरिष्ठ साहित्यकारों का सहयोग व सानिध्य मुझे निरंतर प्राप्त हो रहा है जिससे सीतापुर मे भी मेरी साहित्यिक यात्रा गतिशील है।
भूपेन्द्र दीक्षित-सीतापुर अवधी का गढ़ रहा है।संक्षेप में कुछ बताएं।
छाया त्यागी-जी मै एक वर्ष पूर्व ही सीतापुर में पति के बैंक मे तबादले के चलते आयी हूँ, अत: बहुत अधिक अवधी के विषय में नही जानती हूँ ।थोड़ा थोड़ा अध्ययन कर रही हूं।!
भूपेन्द्र दीक्षित-अपने क्षेत्र के मूर्धन्य साहित्यकारों के विषय में बताएं।
छाया त्यागी-मै गाजियाबाद से संबंधित हूँ।
डां रमा सिंह जी एक सुप्रसिद्ध साहित्यकार हैं।
1980 से निरंतर काव्य मंचों पर सक्रिय हैं, 20 से अधिक देशों मे काव्य पाठ कर चुकी हैं।
वे अनेक राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित हैं।अभी पिछले महीने हमारे सीतापुर की 6 साहित्यकार महिलाओं को उनके कर कमलों से हिंदी प्रबोधनी साहित्य कार सम्मान से सम्मानित किया गया था! जिनमे डा• ज्ञानवती दीक्षित, विनोदिनी रस्तोगी, शची रानी, मालती वर्मा जी हैं!
भूपेन्द्र दीक्षित-वर्तमान साहित्यकारों के विषय में बताएं।
छाया त्यागी-वर्तमान साहित्यकार अच्छा लिखने में सक्षम हैं यदि सोशल मीडिया से प्रभावित न हों तो समाज को अच्छी दिशा देने में सक्षम हैं।
भूपेन्द्र दीक्षित-आपकी कौन कौन कृतियां प्रकाशित हुई हैं?
छाया त्यागी-मेरा नौरंगिनी काव्य संग्रह 2007 में प्रकाशित हुआ।
अंतरंग गीत संग्रह 2019 में प्रकाशित।
गजल संग्रह सौंधी गंध प्रकाशाधीन, शिक्षा में संस्कारों पर लेखन, रामचरित मानस के आध्यात्मिक पक्ष पर लेखन व प्रवचन। वैदिक एवं शास्त्रीय साहित्य पर शोध, सनातन संगोष्ठियों मे निरंतर सहभागिता।
कुछ महत्वपूर्ण संस्थाओं रीडर्स राईटर्स सोसाइटी आफ इंडिया चंडीगढ़ बहुमुखी प्रतिभावान सम्मान, अंतर्राष्ट्रीय इंटरनेशनल सैंटर बैंगलोर मे श्री श्री रवि शंकर जी के कर कमलों से बैस्ट काव्य पाठ के लिए सम्मान, एयरफोर्स वाईफ वैलफेयर आरगेनाईजेशन दारा विशिष्ट कार्यो के लिए सम्मान, भाषा भारती, संस्कार भारती, हिन्दी सभा और कम से कम 20 से अधिक संस्थाओं द्वारा अच्छे कार्यो के लिए प्राप्त प्रशस्ति पत्र!
भूपेन्द्र दीक्षित-आपकी भविष्य की योजनाएं क्या हैं?
छाया त्यागी-हमने पिछले वर्ष ही सीतापुर की महिलाओं के साथ मिलकर " संरक्षिका " राष्ट्र संरक्षण परिषद का निर्माण किया है! जो स्वास्थ्य, संस्कारों एवं संस्कृति को संरक्षण के लिए निरंतर कार्य कर रही है। लाकडाउन के चलते आनलाइन कार्य किये हैं, जिससे देश विदेश की 120 महिलायें जुडकर अपनी सक्रिय भूमिका निभा रही हैं।भविष्य मे अपनी संस्था के माध्यम से , राष्ट्र हित में महत्त्वपूर्ण कार्य ,जैसे ललित कलाओं के द्वारा महिलाओं मे छिपी प्रतिभा को उभारना तथा रोजगार के नये अवसर तलाश कर स्वावलंबी बनाना, शिक्षा में संस्कारों के महत्व पर स्कूल कालिजों से जुडकर संस्कारी समाज को सुनिश्चित करना, स्वास्थ्य के लिए अपनी भारतीय पद्वतियों का अधिक से अधिक उपयोग पर जागरूकता लाना । जिस देश के स्वास्थ्य, संस्कार और संस्कृति सुरक्षित है, वह राष्ट्र निश्चित ही विकास के पथ पर अग्रसित होगा।
भूपेन्द्र दीक्षित-आप वर्तमान साहित्यिक माहौल के विषय में क्या सोचती हैं?
छाया त्यागी-इसमें बदलाव आना चाहिए। जो चल रहा है ,वह कुछ ठीक नही है।
आज के साहित्य में मौलिकता कम और नकल अधिक देखने को मिल रही है। अध्ययन का अभाव दीख रहा लायब्रेरीयां सूनी पडी है।!
साहित्यकारों को लिखने से ज्यादा अच्छी पुस्तकों के अध्ययन पर भी ध्यान देना होगा!
भूपेन्द्र दीक्षित-नई पीढ़ी के लिए आपका संदेश करता है?
छाया त्यागी-युवा पीढ़ी भटकाव की तरफ है। जितने साधन बन रहे हैं, उनका उपयोग कम दुरूपयोग अधिक हो रहा है। अपने संस्कारों एवं संस्कृति को कभी तुच्छ नही समझना चाहिए। तभी हमारी राष्ट्रीयता जीवित रह सकेगी। आपने मुझे अपने भाव और विचार व्यक्त करने काअवसर दिया,इसके लिए आपके साप्ताहिक ग्रामोदय टुडे को बहुत बहुत धन्यवाद।