तेरा मेरा साथ है कुछ ऐसा
मैं तेरी पतंग तू मेरी डोर
बांधकर मुझे अपने साथ
ले चल मुझे खुशियों की और
उड़ा ले चल मुझे खुले आसमान में
भोले भाले पक्षियों के साथ
देखना मैं गिर ना जाऊं कहीं
कसके थाम लेना मेरा हाथ
यह डोर कोई कच्ची डोर नहीं
मेरे प्यार का बंधन है
मैं बंधी हूं तेरी चाहत के साथ
पूरे जीवन का यह गठबंधन है
देखना कहीं गलतफहमियां
काट ना दे इस डोर को
कसके बांधा है मैंने तो
अपनी तरफ से की छोर को
कट गई जो प्रेम की डोर
गिर जाऊंगी मैं बन पतंग
मिल जाऊंगी धूल में
छूट गया जो तेरा संग।
स्वरचित रचना
आभा चौहान