नीलम द्विवेदी
"अहिंसा कायरता की आड़ नहीं है, अहिंसा वीर व्यक्ति का सर्वोच्च गुण है, अहिंसा का मार्ग हिंसा के मार्ग की तुलना में कहीं ज्यादा साहस की अपेक्षा रखता है" - महात्मा गाँधी।
महात्मा गांधी जी एक युग पुरुष थे।“अहिंसा परमो धर्मः” के सिद्धांत को अपना कर, विभिन्न आंदोलनों के माध्यम से महात्मा गाँधी ने देश को अंग्रेजों की गुलामी से आजाद कराया।महात्मा गाँधी का जन्म 2 अक्टूबर सन् 1867 को, पश्चिम भारत ( गुजरात) में हुआ। इनके पिता का नाम करमचंद गाँधी तथा माता का नाम पुतलीबाई था। महात्मा गाँधी के पिता कठियावाड़ के छोटे से रियासत (पोरबंदर) के दिवान थे।13 वर्ष की आयु में गाँधी जी का विवाह कस्तूरबा से हुआ।
इनकी प्रारंभिक शिक्षा पोरबंदर से सम्पन्न हुई, हाईस्कूल की परीक्षा इन्होंने राजकोट से दिया। मैट्रीक के लिए इन्हें अहमदाबाद भेज दिया गया। इन्होंने वकालत की पढ़ायी लंदन से संपन्न की। वकालत पढ़के लौटने पर वकालत प्रारंभ की। एक मुकदमे के दौरान उन्हें दक्षिण अफ्रीका जाना पड़ा। वहां भारतीयों की दुर्दशा,काले गोरे का भेद देख बड़े दुखी हुए। इसके बाद ही उनमें राष्ट्रीय भावना जागी। अंग्रेजों की कुटिल नीति तथा अमानवीय व्यवहार के विरुद्ध गांधीजी ने सत्याग्रह आंदोलन आरंभ किए।
महात्मा गाँधी द्वारा किये गये आंदोलन-
1.असहयोग आंदोलन
जलियांवाला बाग नरसंहार से व्यथित हो कर गाँधी जी ने सितंबर 1920 से फरवरी 1922 के मध्य भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेतृत्व में असहयोग आंदोलन चलाया। लाखों भारतीय के सहयोग मिलने से यह आंदोलन अत्यधिक सफल रहा और इसने ब्रिटिश सरकार को पूरी तरह से हिला दिया।
2. नमक सत्याग्रह
12 मार्च 1930 से साबरमती आश्रम (अहमदाबाद ) से दांडी गांव तक 24 दिनों का पैदल मार्च निकाला गया। यह आंदोलन ब्रिटिश सरकार के नमक पर एकाधिकार के खिलाफ छेड़ा गया।
3. दलित आंदोलन
गाँधी जी द्वारा 1932 में अखिल भारतीय छुआछूत विरोधी लीग की स्थापना हुई और उन्होंने छुआछूत विरोधी आंदोलन की शुरूआत 8 मई 1933 में की।
4. भारत छोड़ो आंदोलन
अँग्रेजी सरकार से भारत को तुरंत आजाद करने के लिए महात्मा गाँधी द्वारा 8 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन आरम्भ किया गया।
5. चंपारण सत्याग्रह
यह आंदोलन बिहार के चंपारण जिले से 1917 में प्रारंभ किया गया और यह उनकी भारत में पहली राजनैतिक जीत थी। यह आंदोलन गरीब किसानो से अत्यधिक कम मूल्य पर जबरन नील की खेती करा रहे ब्रिटिश ज़मीनदारों के खिलाफ था।
उद्देश्यपूर्ण विचारधारा से ओतप्रोत महात्मा गाँधी का व्यक्तित्व आदर्शवाद की दृष्टि से श्रेष्ठ था। इस युग के युग पुरुष की उपाधि से सम्मानित महात्मा गाँधी को समाज सुधारक के रूप में जाना जाता है।हमारे समाज में जिन समुदायों के लोगों को 'अछूत' कहा जाता था, उन्हें गाँधी जी ने 'हरिजन' नाम देकर सम्मान दिया।
गांधीजी ने सुखी जीवन के लिए तीन आदर्शों को मुख्य बताया। उनका कहना था कि बुरा मत देखो, बुरा मत सुनो और बुरा मत कहो। गांधीजी कहते थे कि इन आदर्शों पर चलकर जीवन को सार्थक किया जा सकता है।महात्मा गांधी ने न सिर्फ भारत, बल्कि पूरी दुनिया को अहिंसा के मायने समझाए। राष्ट्रकवि श्री रामधारी सिंह "दिनकर" जी ने गाँधी जी के बारे में अपनी कविता में लिखा-
बापू ! तुमने होम दिया जिसके निमित्त अपने को,
अर्पित सारी भक्ति हमारी उस पवित्र सपने को।
क्षमा, शान्ति, निर्भीक प्रेम को शतशः प्यार हमारा,
उगा गये तुम बीज, सींचने का अधिकार हमारा।
निखिल विश्व के शान्ति-यज्ञ में निर्भय हमीं लगेंगे,
आयेगा आकाश हाथ में, सारी रात जगेंगे।
महात्मा,बापू और राष्ट्रपिता की उपाधि से सुशोभित ऐसे युगपुरुष को शत शत नमन।
नीलम द्विवेदी
रायपुर, छत्तीसगढ़।