अबूशहमा
*गजाधरपुर/बहराइच पारले चीनी मील द्वारा शरद कालीन गन्ना बुवाई के लिऐ किसानों को अधिक से अधिक गन्ना लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा हैं।गन्ना प्रबन्धक संजीव राठी ने बताया अधिक पैदावार के लिए0238, 0118, 94184, प्रजातियों की बुवाई ट्रेंच विधि द्वारा करे व भूमि उपचार के लिये 10 किलोग्राम ट्राइकोडर्मा 10 बैग पारले गोल्ड जैविक खाद के साथ मिलाकर प्रति एकड़ की दर से प्रयोग करें इसके बाद स्वस्थ एवं निरोग खेत से ही बीज ले जिसमे किसी प्रकार की बीमारी एवम रोग न हो बीज का उपचार 100 ग्राम थायोफिनेट मिथाइल 70 % wp, 100 ग्राम एमिडा 17.8%,1 किलोग्राम यूरिया 100 लीटर पानी मे घोल बनाये और 10 मिनट तक उपचारित करने के पश्चात ही बुवाई करे क्योकि गन्ने में आने वाली बीमारिया जैसे रेडरोट रोग,कंडवा रोग, उकठा रोग,ग्रासिशूट रोग आदि बीमारिया भूमि एवम बीज द्वारा ही गन्ने में आती हैं इसलिये भूमि उपचार ट्राइकोडर्मा द्वारा व बीज उपचार थायोफिनेट मिथाइल द्वारा अवश्य करे बिना इसके गन्ना बुवाई कदापि न करे। शत प्रतिशत जमाव एवम अच्छे उत्पादन के लिये केवल एक आंख का टुकड़ा ही बुवाई करे ।एक आंख का टुकड़ा बुवाई करने में केवल 4 कुन्तल बीज प्रति बीघा ही आवश्यकता होगी। और आंख से आंख के बीच 4 इंच की दूरी रखे केवल 2 इंच मिट्टी ही डाले ट्रेंच विधि में सरावन बिल्कुल न लगाएं । अन्यथा जमाव कम होगा। शरदकालीन गन्ना बुवाई में सहफसल अवश्य ले जैसे आलू,लाही, मसूर ,लहसून, सब्जिया आदि ले सकते हैं। जिससे लागत निकल आती हैं। शरद कालीन गन्ने में रोग एवं बीमारी कम आती हैं बीज एवम लेबर आसानी से मिल जाते हैं। व बाढ़ झेत्र के लिये शरदकालीन गन्ना वरदान हैं*।
*इस मौके पर पारले मिल के अन्य अधिकारी सूबेदार सिंह रुचिन लटियान,अखंड प्रताप ,अमरेंद्र सिंह मीटिंग में उपस्थित रहे*