15अक्टूबर सन् 1937 को रामेश्वरम में इनका जन्म हुआ था। इनका पूरा नाम अबुल पाकिर जैनुलअब्दीन अब्दुल कलाम था। इनकी पढ़ाई सेंट जोसेफ कॉलेज, तिरुचिरापल्ली में पूरा हुआ था।
इनका खासियत प्रोफेसर, लेखक, वैज्ञानिक
एयरोस्पेस इंजीनियर थे। इन्हे मिसाइल मैन और जनता के राष्ट्रपति के नाम से जाना जाता है, इन्हें बैलेस्टिक मिसाइल और प्रक्षेपण यान प्रौद्योगिकी के विकास के कार्यों के लिए भारत में 'मिसाइल मैन' के रूप में जाना जाता है।
कलाम जी भारतीय गणतंत्र के ग्यारहवें निर्वाचित राष्ट्रपति थे। इन्होंने मुख्य रूप से एक वैज्ञानिक और विज्ञान के व्यवस्थापक के रूप में चार दशकों तक रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) संभाला व भारत के नागरिक अंतरिक्ष कार्यक्रम और सैन्य मिसाइल के विकास के प्रयासों में भी शामिल रहे।इन्होंने 1974 में भारत द्वारा पहले मूल परमाणु परीक्षण के बाद से दूसरी बार 1998 में भारत के पोखरान-द्वितीय परमाणु परीक्षण में एक निर्णायक, संगठनात्मक, तकनीकी और राजनैतिक भूमिका निभाई।I
कलाम ने साहित्यिक रूप से भी अपने विचारों को चार पुस्तकों में समाहित किया है,'इण्डिया 2020 ए विज़न फ़ॉर द न्यू मिलेनियम', 'माई जर्नी' तथा 'इग्नाटिड माइंड्स- अनलीशिंग द पॉवर विदिन इंडिया'।
इन पुस्तकों का कई भारतीय तथा विदेशी भाषाओं में अनुवाद हो चुका है। इस प्रकार यह भारत के एक विशिष्ट वैज्ञानिक थे, जिन्हें 40 से अधिक विश्वविद्यालयों और संस्थानों से डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्राप्त हो चुकी है।
भारत सरकार द्वारा उन्हें 1981 में पद्म भूषण और 1990 में पद्म विभूषण का सम्मान प्रदान किया गया जो उनके द्वारा इसरो और डी आर डी ओ में कार्यों के दौरान वैज्ञानिक उपलब्धियों के लिये तथा भारत सरकार के वैज्ञानिक सलाहकार के रूप में कार्य हेतु प्रदान किया गया था।
1997 में कलाम साहब को भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न प्रदान किया गया जो उनके वैज्ञानिक अनुसंधानों और भारत में तकनीकी के विकास मेंअभूतपूर्व योगदान हेतु दिया गया था।
वर्ष 2005 में स्विट्ज़रलैंड की सरकार ने कलाम के स्विट्ज़रलैंड आगमन के उपलक्ष्य में 26 मई को विज्ञान दिवस घोषित किया।नेशनल स्पेस सोशायटी ने वर्ष 2013 में उन्हें अंतरिक्ष विज्ञान सम्बंधित परियोजनाओं के कुशल संचलन और प्रबंधन के लिये वॉन ब्राउन अवार्ड से पुरस्कृत किया।
1997इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय एकता पुरस्कारभारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस। 1998वीर सावरकर पुरस्कारभारत सरकार। 2000रामानुजन पुरस्कारअल्वार्स शोध संस्थान, चेन्नई।
कलाम साहब अपने व्यक्तिगत जीवन में पूरी तरह अनुशासन का पालन करने वालों में से थे। ऐसा कहा जाता है कि वे क़ुरान और भगवद् गीता दोनों का अध्ययन करते थे।
उन्होंने सिखाया जीवन में चाहें जैसे भी परिस्थिति क्यों न हो पर जब आप अपने सपने को पूरा करने की ठान लेते हैं तो उन्हें पूरा करके ही रहते हैं। अब्दुल कलाम मसऊदी के विचार आज भी युवा पीढ़ी को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं।
27 जुलाई 2015 (उम्र 83) शिलोंग, मेघालय, भारत
में उन्होंने अंतिम सांस ली और हम सब से दूर चले है।
उन्हें उनके जन्म भूमि में ही अंतिम बिदाई दी गई।
आज भी पूरे विश्व में उन्हें सम्मान के साथ याद किया जाता है।
सरिता लहरे "माही"
पत्थलगांव जशपुर (36गढ़)