दुबई । अन्तर्राष्ट्रीय साहित्यिक संस्था ''साहित्य अर्पण एक पहल'' समूह के बैनर तले भव्य अंतरराष्ट्रीय कवि सम्मेलन “सागर के मोती” का सुंदर आयोजन किया गया।
इस अवसर पर भारत एवं दुबई से कुछ सुप्रसिद्ध कवियों को आमंत्रित किया गया था जिन्होंने अपनी शानदार प्रस्तुति से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
कार्यक्रम की शुरुआत मे साहित्य अर्पण की प्रधान व्यवस्थापिका ने सभी आमंत्रित कवियों का परिचय कराया।
कार्यक्रम के सफल संचालन का कार्यभार पश्चिम बंगाल से आई कवियत्री सुश्री निक्की ने सम्भाला।
सर्वप्रथम सरस्वती वंदना के बाद कार्यक्रम के मुख्य अतिथि भारत के वरिष्ठ कवि श्री लक्ष्मी शंकर वाजपेई जी ने अपनी गज़ल '' उम्र की राह मे कुछ ऐसे भी लम्हे आए'' द्वारा शानदार प्रस्तुति देकर श्रोताओ को भावविभोर कर दिया। उनके साथ ही उपस्थित कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि कवियित्री सुश्री ममता जी ने ''बच्चों को पर मिल गए'' कविता का शानदार पाठ किया।
इसके पाश्चात कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे दुबई से कवि श्री अरुण तिवारी जी ने ''मैं कौन हूं'' काव्य मुक्तक से लोगों का मन मोह लिया।
कार्यक्रम मे उपस्थित अन्य कवियों में श्री आशु गौड़ जी ने ''क्या नींद आती है तुम्हें'' कवि अभिषेक जी ने ''मोहब्बत का गीत - कि तुझे प्यार दूँ'', कवयित्री श्वेता जी ने ''नासूर बनते हैं वह'' श्री सुधीर कुमार जी ने ''कल की आपा-धापी में मेरा अपना मुझसे बिछड़ गया'' जैसे गीत की शानदार प्रस्तुति दी। दुबई से कवियित्री प्रिया जी ने ''उपदेश न दो पढ़ा'' तो वही दिल्ली से जुड़े कवि मोहित जी ने ''हाँ मैं हकलाता हूँ'' जैसी रचना पढ़कर महफ़िल लूट ली। अदिति सिंह जी द्वारा ''मैं कल वापस आऊँगा'' नरेंद्र सिंह की रचना ''मस्तक पर हिमालय सर पर गंगा रखता हूँ'' साहित्य अर्पण कार्यकारिणी की सदस्या कवियित्री अंकिता भार्गव जी ने जहाँ ''ज़ख्म दिल का'' पढ़ी तो वही ज्योत्सना सिंह ने ''कान्हा बंसी बजाए रे'' रचना पढ़ी। कार्यक्रम की संचालक सुश्री निक्की जी ने ''मैं ग़ालिब जौन और निदा को पढ़ती हूँ '' रचना पढ़ी वही मैहर के युवा कवि डाॅ. अरुणेन्द्र गौतम ने ''मैं हिन्दी हूँ '' कविता का पाठ कर कार्यक्रम मे चार चाँद लगाए।
अदिति झा ने हास्य कविता ''आवेग के घाट'' कवि महेंद्र कौर जी ने हरियाणवी में बेटे पर अपनी कविता का पाठ किया।
अंत मे साहित्य अर्पण कार्यकारिणी सदस्य दुबई से कवि विनय गौतम विनम्र जी ने साहित्य अर्पण समूह एवं उसकी नवीन वेबसाइट www.sahityaarpan.com के बारे मे विस्तृत परिचर्चा की, साथ ही प्रेम पर आधारित अपनी रचना ''हुई वीरान वो दुनिया जिसे तुम छोड़ आए हों'' का पाठ किया।
कार्यक्रम समाप्ति से पूर्व कार्यक्रम की रूपरेखा सुसज्जित करने वाली कवियित्री नेहा शर्मा जी ने भी ''कौन कहता है कि लोग विदेश में जा कर बस जाते हैं'' पढ़कर श्रोताओं को भावविभोर कर दिया एवं सबका धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कार्यक्रम का समापन किया।
रिपोर्ट- विनय गौतम, ज्योत्सना सिंह
साहित्य अर्पण कार्यकारिणी सदस्य