सत्य ,अहिंसा ,सत्याग्रह का,
जो सबको पाठ पढ़ाने आये,
शांति दूत बन के आज़ादी का,
जो परचम लहराने आये थे ,
सर्वोच्च शिखर में हो भारत,
सुंदर स्वप्न सजाने आए थे,
अंग्रेजों भारत छोड़ो मेरा,
उद्घ़ोष गगन में गूंज उठा,
सदा न्याय की खातिर लड़ते,
सत्याग्रह को हथियार बनाया,
बिना हथियार के लड़ा युद्ध,
और अंग्रेजों की नींव हिला दी,
सिद्धांतो से लड़ जीत दिलायी,
खड़ी वस्त्र किया था धारण,
चरखा काट खुद सूद बनाया,
नमक भी अपना स्वयं बनाया,
विदेशी वस्तुएँ बहिष्कार कर,
स्वदेश प्रेम का पाठ पढ़ाया,
भारत का राष्ट्रपिता कहलाया,
सन्यासी जीवन अपनाकर
संयम का जो पाठ पढ़ाया,
काले गोरे का भेद मिटा कर,
मानव को मानव से मिलवाया,
जाति पाति की दीवार गिराकर,
दीन दुखियों को हृदय लगाया,
जो तन पीर परायी समझ सके,
वो सच्चा वैष्णव जन बतलाया,
मुख से राम नाम जप करते,
साबरमती के संत कहलाये,
ऐसे महात्मा का जन्म दिवस,
दो अक्टूबर के दिन आता है,
महात्मा गाँधी जी की जयंती,
हर्षित हो सारा भारत मनाता है,
श्रद्धा सुमन उन्हें अर्पित कर,
आओ मिल के संकल्प करें हम,
बापू जो मार्ग दिखा गए हमें,
सत्य अहिंसा की राह चलें हम।
नीलम द्विवेदी
रायपुर, छत्तीसगढ़।
स्वरचित।