मगर क्यों हमारा बहलता नहीं दिल

 



सजी आज फिर से सितारों की' महफिल |


मगर क्यों हमारा बहलता नहीं दिल |


मुबारक तुम्हे चाँदनी ये थिरकती -


हमारे सभी ख्वाब हैं यार धूमिल || ०१


 


सुरक्षा दे नहीं सकते, तो' पहरेदार कैसे हो |


भगोड़े हो गए घोषित, कि जिम्मेदार कैसे हो |


हुए दावे हवा अब तो, भरोसा कौन है करता -


सरक कर चल रहे खुद तो, भला सरकार कैसे हो || ०२


 


भरा तेजाब सीने में , उगलते भी नहीं बनता |


तुम्हारे राज में राजन ! , दुखों को पी रही जनता |


भले किस्से कहानी में , तुम्हारे त्याग के चर्चे -


मगर ये भी हकीकत है , तुम्हारी कौन अब सुनता ||०३


 


नवनीत चौधरी ' विदेह '


किच्छा, ऊधम सिंह नगर


उत्तराखंड, 263148


दूरभाष- 9410477588


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