पवन पूत हनुमान की, पूँछ लगी जब आग,
लंका सारी जल उठी, रावण बड़ा अभाग।
राम हृदय में है बसी, मोहक वानर रूप,
अंदर शक्ति अपार है, शिव के एक स्वरूप।
कुमति निवारण होत है,भजि हनुमत का नाम,
हनु चालीसा जो पढ़े, भय का है क्या काम।
अजर अमर हनुमान हैं,ऋष्यमूक है धाम,
दरशन उनको देत हैं, जिन मुख हैं श्री राम।
संजीवन बूटी लिये, द्रोण गिरि लेइ आय,
रामदूत हनुमान ने, लछमन लिए बचाय।
नीलम द्विवदी
रायपुर (छत्तीसगढ़)