कितना आसान होता है हँसना
दोनो होंठ खोले , दांतों को थोड़ा सा बाहर निकाला आँखे जरा सी छोटी की और बन गया खूबसूरत सा, प्यारा सा चेहरा
वो चेहरा जिसमें उम्मीद है
नूर है , खुशी है, जान है, सौंदर्य है
और बेशुमार ताकत है
और फिर कितना मुश्किल होता है रोना
होंठो को सिकोड़ो , दिल पर पत्थर रखो , अंतरात्मा पर दुनियाभर का ज़ोर देकर उसको निचोड़ो
आँखों को सजा दो ,
ताकि वो खारा पानी बाहर आ सके
चेहरे की त्वचा को सूखने दो
आँखों को बेजार होने दो
माथे पर सिलवटे पड़ने दो
इतनी सारी जहमते उठाने के बाद बनता है नाउम्मीद , बेबस, बेजान, बेजार, चेहरा
लेकिन क्या है ना हम इन्सान हैं हम मुश्किल काम पहले करते हैं
|| कै. एस. राठौड़ ||
*MR BAAZ WRITES*