दो अक्तूबर दो फूल खिले
गाँधी, शास्त्री नाम पाए हैं
अंग्रेजों से देश छीन कर
कितना नाम कमाए हैं
माटी भी यह धन्य हो गई
देश का मान बढाए हैं।
सत्य अहिंसा परम धर्म हो
गाँधीजी का नारा है
अथक प्रयास किया सबने
तब यह देश हमारा है
जय जवान हो जय किसान
शास्त्री जी सिखलाए हैं
आजादी जब मिली देश को
बदल गए सारे इंसान
नारी की इज्जत से देखो
खेल रहा है वीर जवान
अबला पर पुरुषत्व दिखाकर
तनिक नही शरमाए है
जय जवान हो जय किसान
सबको यही सिखाए हैं।
नेता सारे सत्य बोलते
माया नगरी सारी है
जान की कीमत दो कोड़ीहै
अहिंसा के सभी पुजारी हैं
पैसे से घर भरते जाओ
परम धरम अपनाए हैं
देश की हालत क्या हो गई
कैसे तुमको दिखलाऊँ,
तोड़ रहा है दम किसान
ये कैसे तुमको बतलाऊँ,
टूटे सपने आँखों में लेकर
जन्मदिन मनाए हैं।
जय जवान हो जय किसान
सबको यही सिखाए हैं।
विभा तिवारी
जौनपुर यु पी