बोल दो दो शब्द मीठा,
भूल से ही ऐ सखा।
होते रुखसत इस जहां से,
कोई कहे ना बे वफा़।
बस एक कर जाओ वफ़ा।।
कह सके ना बेवफ़ा।।
तीर सा ए शब्द दिल को,
चीर देता है सखा।
मीठा मीठा सत् शबद,
दिल को लुभा जाता सदा।।
कह सके ना बेवफ़ा।
बस एक कर जाओ वफ़ा।
कह सके ना बेवफ़ा।।
भर उठेंगे रफ्ते - रफ्ते ,
घाव भी शमशीर के,
पर बिंधा मन शब्द से,
भर जाते हैं नासूर से,
शान का है शब्द साक्षी ,
सम्मान का है शब्द साक्षी,
अपमान का है शब्द साक्षी।
ज्ञान का है शब्द साक्षी,
ईमान का है शब्द साक्षी,
साक्षी बनकर के दिखा।।
कोई कह सके ना बेवफ़ा।।
बस एक कर जाओ वफ़ा।
कोई कह सके ना बेवफ़ा।।
शब्द ईश की सौगात है
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सूमधुर शब्द दिल में
खुशी लाते हैं।
आदमी मरते दम तक
नहीं भूल पाते हैं।।
शब्द ने ही रचा था
वह कुरुक्षेत्र भी,
शब्दं के जाल फंस नर
सदा है झूलता।।
यह रूलाता भी है,
और हंसाता भी है।
लाज रखता भी है,
सिर कटाता भी है।।
शब्द है इक साधना ,
शब्द है इक वासना ।
शब्द से जीवन बना ,
अमृत बनाता कामना।।
शब्द के संग खेलना,
बिल्कुल सम्हल करके जरा।
इसलिए तो तौल करके,
हर शब्द को तुम बोलना ।।
शब्द लिखता है सभी की ,
शब्दों से तक़दीर भी।
गैर को अपनाबनाता,
शब्द की ताशीर भी।
शब्द जीवन का सभी के ,
सबसे अहम वो अंग है।
शब्द से ही टूट जाते ,
जिन्दगी में भरम।।
शब्द मानव के लिए ,
ईश् का वरदान है।
यह दहकता लावा है,
और महकता प्रसून है ।।
सबसे सुंदर सरस रस ,
यह शब्द इक सौगात है।
शब्द ने रखा सदा ,
सबका जग मरजाद है।।
बात कहते हैं खरी,
हैं अनुज ए जौनपुरी।
बोल दो दो शब्द मीठा,
हृदय से मेरे सखा।।
शब्द इक सौगात है ।।
शब्द इक सौगात है।।
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सुरेन्द्र दुबे (अनुज जौनपुरी)
9757226732