भारतवर्ष की धरा पर चल रहा
ये कैसा राजनीति का कारोबार
देख - देख विधाता रोता
धरती भी करती है पुकार
बंद करो यह जंगल राज
बहुत हुआ बेटियों पर अत्याचार
सपने देखने की आयु में
मौत के घाट उतार दी जाती है
छलनी छलनी कर उसकी देह
अंधेरों में जला दी जाती है
इन्साफ मांगने भटकता रहता
प्रताड़ित बेटी का परिवार
और निजी सुख को पहले सोचे
ऐसी बन बैठी भ्रष्टाचारी सरकार
सभ्यता ऐसे मर जाएगी
संस्कार भी नहीं रहेंगे
बाहर की आग में झुलसकर
घर के अंदर वाले भी मरेंगे
समय रहते रोक लो इस आग को
मानवता को ना करो इतना शर्मसार
© स्वामी दास '