दी हमें आजादी बिना खड़क बिना ढाल
रघुपति राघव राजाराम
जल रहा था भारत सारा
गुलामी की जंजीरों से
त्राहि-त्राहि मच रही थी
हुआ था हाहाकार
दी हमें आजादी........
रघुपति........
जीत ले जो दुनिया सारी
हो ऐसा अवतार
आए पालनहार कोई
यही थी अब पुकार
दी हमें आजादी ..........
रघुपति........
सुन पुकार प्रकट हुआ वो
पोरबंदर के द्वार
बढ़ चला वह पथ पर ऐसे
करने अब उद्धार
दी हमें आजादी.........
रघुपति........
खेड़ा ,खिलाफत ,सविनय दाङी
इरविन की थी मार
सह ना पाए अंग्रेज सारे
जेल दिया डाल
दी हमें आजादी .........
रघुपति.........
अहिंसा का वो पुजारी
डिगा न पथ से कभी
आंधियाँ हो तेज कितनी
चमका जैसे रवि
दी हमें आजादी.........
रघुपति.........
क्रोध की प्रचंड अग्नि
का किया तिरस्कार
त्याग कर विलासिता वो
बन गए थे महान
दी हमें आजादी.........
रघुपति.......
रह अडिग वह पथ पर अपने
चला करने उधार
रोक ले चाहे दुनिया सारी
पर बना न वो गद्दार
दी हमें आजादी ........
रघुपति.......
गोडसे के षड्यंत्रो से
बुझा एक चिराग
30 जनवरी हुई काली
खोया शिरोमणि महान
दी हमें आजादी........
रघुपति.......
धुंध छाई झुका क्षितिज
मच गया कोहराम
रुक गई वह प्रकृति सारी
अंत हुआ 'हे! राम!!
दी हमें आजादी........
रघुपति.....
अधूरे उनके अरमानों को
चलो बढ़ाएं मिल हाथ
स्वच्छ रखें अपना भारत
मिलकर रहे सब साथ
दी हमें आजादी.......
रघुपति........
खादी पहन ,स्वदेशी अपनाओ
फैलाओ प्रेम व्यवहार
आत्मनिर्भर बने भारत
शिक्षित हो हर परिवार
दी हमें आजादी......
रघुपति......
स्व रचित रचना
श्वेता कनौजिया
प्रधानाध्यापिका (प्राइमरी)
संविलियन विद्याल लडपुरा
गौतमबुद्ध नगर