राष्ट्रकवि के जन्म जयंती पर कोटि-कोटि नमन
प्रमिला श्री 'तिवारी'
वैसी कविता जो मन को आंदोलित कर दे और उसकी गूंज युगों तक सुनाई दे.
ऐसा बहुत ही कम हिन्दी कविताओं में देखने को मिलता है.
कुछ कवि जनकवि होते हैं तो कुछ को राष्ट्रकवि का दर्जा मिलता है
मगर एक कवि राष्ट्रकवि भी हो और जनकवि,
यह इज्जत बहुत ही कम कवियों को नसीब हो पाती है.
रामधारी सिंह दिनकर ऐसे ही कवियों में से एक हैं
जिनकी कविताएं किसी अनपढ़ किसान को भी उतनी ही पसंद है
जितनी कि उन पर रिसर्च करने वाले स्कॉलर को.
उनकी ही कलम से
ऊँच-नीच का भेद न माने, वही श्रेष्ठ ज्ञानी है,
दया-धर्म जिसमें हो, सबसे वही पूज्य प्राणी है।
क्षत्रिय वही, भरी हो जिसमें निर्भयता की आग,
सबसे श्रेष्ठ वही ब्राह्मण है, हो जिसमें तपत्याग
रामधारी सिंह दिनकर
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मेरी कलम से
मुक्तक
नवल निर्माण होता है, नया संकल्प लेने से ।
प्रखरता भी तभी मिलती,वचन को सत्य देने से।
बरसता ज्ञान का अमृत,जलधि सुत मेघ जैसे हों
प्रयोजन सिद्ध होता है, समय की नाव खेने से।
मनोबल को अडिग रखकर,लिए विश्वास का संबल ।
चलें थे राह पर झलका,सदा ही धीरता पल-पल ।
समर्पण भाव दिनकर का,कि महका पुष्प के जैसा-
पढ़ाया पाठ गीता का, बहाए प्रेम गंगा जल ।
प्रमिला श्री 'तिवारी'