संस्कृति के कोख से जन्मी,
एक प्यारी सी बेटी है,
हिंद का जिसने मान बढ़ाया ,
वो तेरी मेरी हिंदी है !
जो भाषाओं में अग्रिम है ,
जो गर्व की अनुभूति है ,
जो शान व्याकरण की है,
वह तेरी मेरी हिंदी है !
कविता के सुंदर मुखड़े की,
जो प्यारी सी बिंदी है,
गद्द के माथे का जो टीका ,
वह तेरी मेरी हिंदी है!
है दुखद यह पक्ष भी ,
यह उपेक्षित हो रही ,
अंग्रेजी- चुंगल में फंसी जो,
वो तेरी मेरी हिंदी है !
स्वरचित मौलिक रचना सुनीता जायसवाल फैजाबाद उत्तर प्रदेश