आज विश्व शांति दिवस है। जैसा की हम सब जानते है ,लेकिन क्या भारत वासियों
के दिल में शांति हैं ..?हम तो शांति दूत हैं ही ..हमारे देश के प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने शांति व्यवस्था स्थापित करने का अथक प्रयास किया ....ताकि दोनों देशों में अमन चैन रहे ...फिर भी चाइना और पाक ने अपना नापाक़ इरादा नहीं छोड़ा।
आज आवश्यकता है दोनों देशों को सबक सीखाने की ,आज आवश्यकता है माटी की अस्मिता को बचाने की ,.
महात्मा गाँधी जी ने कहा है कि -''अहिंसा मेरे विश्वास की पहली वस्तु है और मेरे मत की आख़िरी वस्तु है '' ...क्या हम लोग अब अहिंसा का राग़ कुछ ज्यादा नहीं अलाप रहे है ..?
2))) नेल्सन मंडेला जी ने कहा है कि --''यदि आप अपने दुश्मन के साथ शांति
चाहते हैं तो ,उसके साथ मिल कर काम करना होगा ,,तब जा कर वो आप का
साथी बनेगा ....!!
3)) वहीं थामस फूलर ने कहा कि ___ "एक भेड़िए के साथ शांति की बात करना बात करने वाले की पागलपन है।"
हम लोग बार बार शांति की पहल करते हैं,लेकिन जो खुद अशांत हैं वो शांति की भाषा क्या समझे??
हमारे प्रधानमंत्री ने कई बार शांति की पहल की ,खुद भी भारत इस पर अमल करता है, पर जहां आज विश्व में करोना का कहर छाया हुआ है, लाखों लोगों ने अपनी जान गंवा दी करोना का खतरा अभी टला नहीं आज भी बरकरार है, फ़िर भी हमारा पड़ोसी चाइना शांत नहीं है।
जिनके रगो में गद्दारी के कीड़े रेंग रहें उसको शांति से क्या लेना देना?
माना की आज गाँधी जी के बात को मान कर हम अहिंसा दिवस मना ले रहें है ..
लेकिन आवश्यकता है, दुष्कर्मियों ,गद्दारों और देश के भीतर और बाहर पल रहे दुश्मनों के सफाया का दिन होना चाहिए।
ललकार सुनों देश की !
हुंकार सुनों देश की !
आस्तीन के साँपों का हो सफाया ,
चीत्कार सुनों देश की !!
जय हिन्द , जय भारत!!
--मणि बेन द्विवेदी
वाराणसी उत्तर प्रदेश