शाम को लगता है दरबार और जिम्मेदार है मेहरबान
राघवेंद्र सिंह ,लखनऊ
राजधानी लखनऊ में लगातार क्राइम कंट्रोल करने में जुटे लखनऊ कमिश्नरेट पुलिस के कमिश्नर सुजीत पांडे लेकिन थाने और कोतवाली के जिम्मेदार आंख मूंदकर गश्त कर रहे हैं शाम होते ही ग्रामीण क्षेत्रों के सरकारी शराब के ठेकों पर मेले जैसा माहौल बना रहता है शराब ठेके के बगल में केंटीन चल रही हैं जहां खुलेआम धड़ल्ले से शराब परोसी जा रही है और आसपास चखनो की दुकानें सजी रहती हैं जहां पर शाम की महफिल रंगीन होती है शराब के नशे में एक्सीडेंट होना या शराबी का किसी से अभद्र व्यवहार करना यह अब आम हो चला है क्योंकि जिम्मेदार गस्त के समय यह सब देख कर मुंह फेर कर चले जाते हैं लॉकडाउन में लंबी लंबी लाइन लगाकर धड़ल्ले से खूब शराब बिक्री करी गई लेकिन अब अनलॉक होते ही मेले जैसा माहौल शराब ठेकों को देखने पर मिल जाएगा गोसाईगंज, अमेठी ,गंगागंज खुजौली,नगराम ,खुरदही बाजार,अर्जुनगंज क्षेत्र के प्रमुख बाजार होने के कारण यहां शराब ठेकों पर भीड़ बहुत ज्यादा होती है हाईवे पर लगे शराब ठेकों पर समय के बाद सेटिंग से शराब बिक्री करने के लिए चखनो की दुकानों पर पूरी व्यवस्था रहती है आबकारी विभाग सिर्फ स्टॉक चेक करने भर सीमित रह गया है शराब ठेके के आसपास खाली गिलास ,खाली बोतले और शराब के खाली डिब्बे खुद इस बात की गवाही देते हैं कि यहां शाम का मेला लगता है