जो गुनगुना चाहती ,ज़हन में वो गीत आना चाहिए,
फिर से वही मधुरिम प्रिये, संगीत आना चाहिए।
मेरी आँखों को जो भाता, तेरा वो चित्र आना चाहिए,
बहुत लंबी जुदायी है, कि तेरा इक पत्र आना चाहिए।
किसी के सब्र को इतना भी नहीं आजमाना चाहिए,
अब है दुरियाँ बढ़ती, तुम्हें भी लौट आना चाहिए।
है जरा सी जिंदगी बाकी,मोहब्बत में लुटाना चाहिए,
जहाँ दिल को सुकून मिलता,वहीं पे दिन बिताना चाहिए।
अंधेरे दिल में फिर जा के कोई दीपक जलाना चाहिए,
बहुत तन्हाई रुलाती थी, कि अब संग मुस्कुराना चाहिए।
नीलम द्विवेदी
रायपुर, छत्तीसगढ़