संकटमोचक बन कर दुख हर लेता
जन गण मन का है वो सच्चा नेता
पलभर में जनता की बात को जाने
दुख की घड़ी में जन जन का नेता
जाति,धर्म,रंग,वर्ग का न भेदभावी
सबको प्रेम से गले है लगाता नेता
ऊँच नीच का वह भेद न वो जाने
समानता का पाठ पढ़ाता है नेता
मानवीय मूल्यों को कभी न बेचे
मानवता नहीं दांव लगाता है नेता
देशभक्ति भाव कण कण समाया
उन्नति पथ पे अग्रसर कराता नेता
खरीर फरोख्त का न हो अनुयायी
वतन बुलंदियों पर पहुंचाता नेता
मनसीरत मन की व्यथा को समझे
राजनीतिक सीख सिखाता है नेता
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)