राष्ट्रकवि रामधारी सिंह 'दिनकर' की आज जयंती पर विशेष
भूपेन्द्र दीक्षित
राष्ट्रकवि रामधारी सिंह 'दिनकर' की आज जयंती है। उनका जन्म 23 सितंबर, 1908 में बिहार में हुआ था।
रामधारी सिंह दिनकर नाम है एक ऐसे अद्भुत व्यक्तित्व का, जिसने राष्ट्रभक्ति की ऐसी अविरल धारा बहाई, जिसमें पूरा देश ऊब डूब हो उठा।
रामधारी सिंह दिनकर ऐसे कवि थे, जिनकी कविताएं किसी अपढ़ किसान भी उतनी ही पसंद करता है, जितनी कि उन पर शोध करने वाले विद्वान।
दिनकर का जन्म 23 सितंबर 1908 को बिहार के बेगुसराय जिले के सिमरिया गांव में हुआ था। तीन साल की उम्र में सिर से पिता का साया उठ जाने के कारण उनका बचपन अभावों में बीता, लेकिन रामचरितमानस सुन कर दिनकर के भीतर कविता जाग उठी।‘दिनकर’ ने हिंदी साहित्य में न सिर्फ वीर रस के काव्य को एक नई ऊंचाई दी, बल्कि अपनी रचनाओं के माध्यम से राष्ट्रीय चेतना का भी सृजन किया।
रामधारी सिंह दिनकर का कवि के रूप में जीवन 1935 से शुरू हुआ, 'रेणुका' का प्रकाशन हुआ।
इसके बाद 'हुंकार' प्रकाशित हुई, तो देश के युवा वर्ग ने कवि और उसकी ओजमयी कविताएं हाथों हाथ उठा लीं। 'कुरुक्षेत्र' द्वितीय महायुद्ध के समय की रचना है, किंतु उसकी मूल प्रेरणा युद्ध नहीं, हिंसा-अहिंसा के द्वंद्व से जन्मी। 1999 में उनके नाम से भारत सरकार ने डाक टिकट जारी किया।
राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की एक कालजयी रचना-भारत धूलों से भरा, आंसुओं से गीला,
भारत अब भी व्याकुल विपत्ति के घेरे में।
दिल्ली में तो है खूब ज्योति की चहल-पहल,
पर, भटक रहा है सारा देश अँधेरे में।
रेशमी कलम से भाग्य-लेख लिखनेवालों
, तुम भी अभाव से कभी ग्रस्त हो रोये हो?
बीमार किसी बच्चे की दवा जुटाने में,
तुम भी क्या घर भर पेट बांधकर सोये हो?
उन्हें नमन।