साहित्यिक पंडानामा :८८३


भूपेन्द्र दीक्षित


अवधी के एक जाज्ज्ज्वल्यमान नक्षत्र थे स्मृति शेष रामकृष्ण संतोष।उनके निधन से बिसवां में अवधी की मशाल लुप्त हो गयी।उनमें अद्भुत प्रतिभा थी।उनका बहुत सा साहित्य अप्रकाशित है।काश उनके पुत्र अवधी की पीड़ा समझ कर उसका प्रकाशन कराएं।हमने बहुत प्रयास किया,पर सफल न हो सके।


संतोष जी ने नये साहित्यकारों को प्रेरणा देकर संपूर्ण पीढ़ी तैयार की।उनमें से कुछ राष्ट्रीय स्तर पर उभरे।वे बिसवां के भारतेन्दु हरिश्चंद्र थे।अफसोस सीतापुर की साहित्यिक संस्थाएँ उन्हें स्मरण भी नहीं करतीं ।


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