23 सितंबर 1908 सिमरिया, बेगूसराय, बिहार
रवि सिंह और मनरूप देवी के परिवार में आया दिनकर जी का बहार
रेलवे हाई स्कूल मोकामा से मैट्रिक और पटना कॉलेज से इतिहास में b.a. पास कर
बन गए एच° ई° स्कूल बरबीघा के हेडमास्टर
जैसे हर ग्रहों में श्रेष्ठ भास्कर
वैसे ही साहित्य क्षेत्र में राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर
हिंदी साहित्य के राष्ट्रकवि और गद्दकार
जिनके एक नेत्र में काव्यशैली के रणचण्डी का प्रकोप का सार
तो दूजे नेत्र में झलक रहा रसवंती का प्यार
कहीं मिलते हैं यौवन की श्रृंगार और घनसार
तो कहीं कंकन करवाल की मिलित झंकार
इनकी कविताओं का एक ही आधार
हर क्षण हो सच्चे राष्ट्रवाद की पुकार
जब अंग्रेज क्रांतिकारी स्वर दबा बना दिया इन्हे सब- रजिस्टार
तब इन्होंने नवयुवकों के लिए रचा सामधेनी और हुंकार
इनके प्रमुख रचनाओं की है ऐसी सार
रेणुका ,धूप -छाँह,बापू ,रश्मिरथी और हुंकार
कुरुक्षेत्र पर तो मिल चुका है इन्हें कई पुरस्कार
संस्कृति के चार अध्याय पर साहित्य अकादमी और उर्वशी पर मिल चुका है ज्ञानपीठ पुरस्कार
साहित्य अकादमी पद्म भूषण और ज्ञानपीठ पुरस्कार
यह है राष्ट्र कवि दिनकर जी के जीवन के रसधार
अभियंता प्रिंस कुमार
*सोनदीपी, बेगूसराय ( बिहार)