शान बा आपन तिरंगा जान से प्यारा वतन।
मान आ मर्जाद से संसार में न्यारा वतन।
ठाढ़ बा पर्बत हिमालय चीर के असमान के,
धीर के धरती कहाला बीर के नारा वतन।
धर्म के धाजा इहाँ फहरे गगन में आन से,
नेह के दरियाव ई अरु प्रेम के धारा वतन।
भगत के ई खून हउवे पुण्य ई आजादके,
साँस भारत देश के आ नैन के तारा वतन।
प्रीत के पैगाम देला गीत गावे नीति के
जुद्धके ललकार हउवे विजय जैकारा वतन।
अमरेन्द्र
आरा