धरती तज के हो गए तीतर
घर के पुरखे बन गए पीतर
पितृ पक्ष पर उन्हें याद करें
आँखों से ओझल हुए पीतर
दूसरी दुनिया के सहवासी
दिल से न भूलें जाएं पीतर
उस जहाँ में दैविक रूप हुए
घर में सुख शांति लाए पीतर
फ्रेम में मंढ के लटका दिए
दीवारों पर जड़ दिए पीतर
जिंदा थे तो नजरअंदाज हुए
मंदिर में शोभित हुए पीतर
भूत प्रेतों का साया ना हो
हाथ जोड़ मनाते हैं पीतर
बुढ़ापे में अन्न कण को तरसे
घी दूध से नहलाते पीतर
सुख शांति खूब समृद्धि आए
कड़क नोटों में तुलते पीतर
मनसीरत बदकदरी मे रहे
फल फूलों से सजाते पीतर
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)