पर्वत कहता शीश उठाकर
तुम भी ऊँचे बन जाओ
सागर कहता है लहराकर
मन में गहराई लाओ
समझ रहे हो क्या कहती
उठ -उठ गिर - गिर
तरल तरंग भर लो भर लो
अपने मन में मीठी-मीठी मधुर उमंग
नभ कहता धैर्य न छोड़ो
जितना भी हो सर पर भार
बादल कहता फैलो इतना
ढक लो तुम सारा संसार..।।
दीपिका सिंह
प्रयागराज
15/09/2020