मेरे प्यारे गुरु जी


करती हूं मैं नमन


अपने सभी गुरूवरो का,


देकर के समय अपना हमें


जिन्होंने मूल्यवान बनाया है।


 


छोटी सी पोध थे हम ,एक वृक्ष हमें बनाया है,


सीचा अपने ज्ञान से ,हमें ज्ञानी बनाया है।


 


हर पल हर क्षेत्र में ,उचित मार्ग दिखाया है 


धूप में भी परिश्रम हमें करना सिखाया है। 


 


मिट्टी की कच्ची गुल्लक तो टूट जाति है ,


धन्य है वह गुरुवर जिन्होंने तपना सिखाया है।


 


करती हूं मैं वंदना अपने समस्त गुरुवरो की


" रामकृष्ण " हमें जैसा साहसी बनाया है ।


 


भूल कर के अपने जीवन का हर मनोरथ


बनकर के ज्ञान कुंजी हर पाठ पढ़ाया है।


 


कोटि-कोटि नमन करूं मैं उस परब्रह्म को


बनकर के सद्गुरु हमें समर्पण सिखाया है।


 


ज्ञान रूपी कलश से सिंचित हमें किया है,


शिक्षा दी जिन्होंने हमें शिक्षित बनाया है।। 


 


तप तप के तपस्या की है, कुंदन बनाया हमको


माता पिता की भांति , जीना सिखाया हमको ।


 


अमूल्य हम कंकड़ पत्थर थे धरा पर कभी


ज्ञान की से हथौड़ी मूल्यवान बनाया हमको।


 


नमन बारंबार करूं , करूं मैं चरण वंदना


आज आचरण के धनी हैं हम


गुरुवर की ही दी है शिक्षा


उन्हीं के हम ऋणी है।


🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹


 


प्रतिभा दुबे (अभिलाषी)


मध्य प्रदेश (ग्वालियर)


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