मैं हूँ भारत की इक बिंदी!
बहता मेरी नसों में हिंदी!!
बिछाऊँ हिंदी ओढूँ हिंदी!
नित ही हिन्द को जोड़ूँ हिंदी!!
आओ खेलें हिंदी - हिंदी!
ये हमारे माथे की बिंदी!!
ना संकोचें नहीं शरमाएँ!
जहाँ जाएँ ले जाएँ हिंदी!!
अंँग्रेजी के मद में हुए चूर!
हमने नहीं बिसराई हिंदी!!
राष्ट्र-गौरव औ' स्वाभिमान!
आत्मा का संस्कार हिंदी!!
डा.पंकज वासनी
हिंदी दिवस की अशेष मंगलकामनाएँ!
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