कुसूर हमारा नहीं


ये शौक, ये ठाट फितरत है हमारी, जी मचल जाए, तो कुसूर हमारा नहीं! 


ये रोब, ये गुरूर आदत है हमारी, 


मन बदल जाए, तो कुसूर हमारा नहीं! 


ये शाही तलवार और राजपूताना अंदाज़ यूँ ही नहीं लेकर चलते हैं;


ये जंग, ये जुनून ताकत है हमारी, 


दिल दहल जाए तो कुसूर हमारा नहीं.... 


 


माही सिंह


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