शिवम त्रिवेदी
बहराइच। कतर्नियाघाट तथा बहराइच वन प्रभाग कार्यालय में शुक्रवार को राष्ट्रीय वन शहीद दिवस मनाया गया। इस दौरान जंगलों की सुरक्षा में जान गंवाने लोगों को वनाधिकारियों ने याद किया। साथ ही जंगल व वन्यजीवों की सुरक्षा का संकल्प लिया।
कतर्नियाघाट व बहराइच वन प्रभाग में संयुक्त रूप से दोनों प्रभाग के वनाधिकारियों ने राष्ट्रीय वन शहीद दिवस मनाया। मुख्य अतिथि एसडीएम सदर ने शहीद के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। कतर्निया संरक्षित वन क्षेत्र के डीएफओ जीपी सिंह और बहराइच वन प्रभाग के डीएफओ मनीष सिंह ने शहीदों के चित्र पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धासुमन अर्पित किए। साथ ही शहीदों को याद किया।डीएफओ मनीष कुमार सिंह ने बताया कि राष्ट्रीय वन शहीद दिवस प्रति वर्ष 11 सितंबर को मनाया जाता है।
डीएफओ ने बताया कि 11 सितंबर 1730 को राजस्थान में खिजड़ी का पेड़ जोधपुर के राजा कटवा रहे थे, जिसका विश्नोई समाज ने विरोध किया। इससे नाराज जोधपुर के राजा की सेना ने विश्नोई समाज के 360 लोगों की हत्या कर दी। साथ ही खिजड़ी के पेड़ों को कटवा दिया। इसी कारण पूरे देश में 11 सितंबर को राष्ट्रीय वन शहीद दिवस मनाया जाता है। इस मौके पर वनाधिकारियों और कर्मचारियों ने पेड़ और वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए संकल्प लिया। इस मौके पर वन क्षेत्राधिकारी सदर, वन दरोगा, वन रक्षक आदि मौजूद रहे। पेड़ की पूजा करते हैं विश्नोई समाज के लोग
डीएफओ ने बताया कि राजस्थान में खिजड़ी पेड़ पूजनीय है। विश्नोई समाज के लोग पेड़ की पूजा कर सुख समृद्धि की कामना करते हैं। इसी से सभी खिजड़ी का पेड़ काटने का विरोध करते थे और पेड़ को बचाने के लिए उन्हें अपनी जान गंवानी पड़ी थी।