हिन्दी तो है हिंद की रानी

हिन्दी तो है हिंद की रानी।


मिश्री सी घोले कहे कहानी।


कविताओं में कर्ण फूल सी,


सरस व्याकरण ज्ञान की नानी।


 


भारत की चन्दन और रोली।


प्रेम दुलार भावों की बोली।


दोहा छंद श्रृंगार अलंकृत,


बांधे जब शब्दों की मोली।


 


 हम सब हिंदी वाणी ना भूलें।


 बोल बोल अंग्रेजी ना ऊलें।


भौतिकता की होड़ में आकर,


हिन्दी का विकास ना भूलें।


 


हिन्दी लिखके किया उजाला।


महादेवी,सूर पंत, निराला।


आओ इसकी गरिमा बढ़ाएं,


हिंदी खूशबू पहन दुशाला।


 


 राखी कुलश्रेष्ठ


कानपुर उत्तर प्रदेश


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