पालि प्राचीन से जन्मी
"हिंदी " संस्कृत की बेटी है
अमन,चैन स्याही कलम
लिखती संस्कार गाथा है
सिंधु सी अधाग है
शिखर पर बिराज है
मौजो का सैलाब उनमे
लहेरो सा उन्माद है
ताल बध अधरों से गूंजे
भाव मे प्रमाद है
उत्कृष्ट उचारो से
निखरता राष्ट्रगान है
पालि प्राचीन से जन्मी
"हिंदी " संस्कृत की बेटी है
मात्रा ऐ अनमोल इसमें
जैसे जडे नवरत्न है
गद्य, पद्य छंद सजते है
श्रृंगार रस बिखेरते है
ललाटे तिलक अर्धचंद्रबिंदु
वीरो का सन्मान है
लेखनी की रणनीति जैसे
उत्कृष्ट अनुशासन है
पालि प्राचीन से जन्मी
"हिंदी " संस्कृत की बेटी है
लय मही मधुर संगीत है
अधर सजे सूर सरगम
वीणा, तान तम्बूरा बजे
मा सरस्वती की धुन
राग भाव मे लीन है
श्रोता तल्लीन है
कवियों की कविताओ से
राष्ट्रीय भाषा अमर है
पालि प्राचीन से जन्मी
"हिंदी " संस्कृत की बेटी है
अल्पा महेता
एक एहसास