हिंदी मेरे रोम रोम में


हिंदी मेरे रोम रोम में ,


हिंदी में मैं समाई हूँ ,


हिंदी की मैं पूजा करती ,


हिंदुस्तान की जाई हूँ


सबसे सुन्दर भाषा हिंदी ,


ज्यो दुल्हन के माथे बिंदी ,


सूर जायसी, तुलसी कवियों की ,


सरित -लेखनी से बही हिंदी ,


हिंदी से पहचान हमारी ,


बढ़ती इससे शान हमारी 


निज भाषा पर गर्व जो करते ,


छू लेते आसमां न डरते ,


शत -शत प्रणाम करते हम हिंदी को 


स्वाभिमान हमारी हिंदी !


शोभा खरे


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