हिंदी ने सब कुछ सिखलाया, हिंदी का गुणगान करें।
जिसने जना चंद जगनिक कवि, उसका हम सम्मान करें।
खुसरो की 'कह मुकरी' जिसकी गोदी में मुस्काती हो -
ऐसी पावन भाषा से नित, नूतन नवल विहान करें।
हिंदी का गुणगान करें ............।।
पद्मावत रच दिये जायसी, बीजक दास कबीर रचे।
सागर सूर साख्य केशव सँग, राधारानी पीर रचे।
रामचरित मानस तुलसी कृत, पुरुषोत्तम की मर्यादा -
रामचन्द्रिका में केशव के, अलंकार का भान करें।
हिंदी का गुणगान करें............।।
भूषण घनानन्द सेनापति, नानक मीरा पीर पगे।
वीर भक्ति वात्सल्य रीतिरत, धन्य सतसई नेह लगे।
इंसाअल्ला श्रीनिवास अरु भारतेन्दु की कविताई -
प्रियप्रवास हरिऔध रचित का आओ फिर से ध्यान करें।
हिंदी का गुणगान करें............।।
प्रेमचंद दिनकर प्रसाद औ वर्मा पंत निराला गुप्त।
हिंदी माता की संताने, कभी नहीं होना रे सुप्त।
एक सूत्र में बँधकर भारत, हिंदी का पर्याय हुआ -
अरुणाचल कश्मीर केरला, तमिलनाडु जयगान करें।
हिंदी का गुणगान करें.............।।
सवा अरब की जनवाणी में, हिंदी भाषा बोल उठी।
अपनों और परायों से पाये ज़ख़्मों को खोल उठी।
उपभाषा औ बोली के सँग, पुन: आज इठलाती यूँ -
हिंदी माथे की बिन्दी हिय से हिंदी का मान करें।
हिंदी का गुणगान करें ............।।
डॉ अवधेश कुमार अवध