हिन्दी है बिन्दी भाषा की लोग लगाना भूल गये।
शब्दों के तो अर्थ बदल गये अनुनासिक जब छोड़ दिये।
अब अंग्रेजी के संग हिन्दी , अपनी दशा बिगाड़ चली।
जो सीखे थे संस्कृत रूप से, उसको तोड़ मरोड़ दिये।
नयी नयी पीढ़ी कहती ये ,हिन्दी बड़ी अजीब है।
अंग्रेजी भी नही मुकम्मल , भाषा दोनों जोड़ दिये।
सभी जानते अपनी भाषा ,हिन्दी सबसे प्यारी है
पर अपने ही भ्रम में पड़ ,हिन्दी से नाता तोड़ दिये।
मैं कहती हूँ सुन लो साथी, हिन्दी बड़ी दुलारी है
संस्कृत ने अपने आँचल के, छाँव तले है ठौर दिये।
रजनी रंजन