अग्नि और राफेल हैं, चीन तुम्हारा काल।
इनके सम्मुख जान लो, नहीं गलेगी दाल।।
भूमि हड़पना छोड़ दे, अगर चाहता खैर।
पछताएगा चीन तू, भारत से कर बैर।।
टकराएगा हिंद से, होगा चकनाचूर।
चीन खैरियत चाहता, तो यह छोड़ फितूर।।
छुरा घोंपता पीठ पर, भाई कह हर बार।
क्षमा योग्य बिल्कुल नहीं, तेरा यह व्यवहार।।
सीमा में घुसपैठ की, चीन भूल जा बात।
सेना हिन्दुस्तान की, सजग खड़ी दिन-रात।।
तेरे कायर सैन्य दल, हद करते हैं पार।
भूल रहे क्यों नासमझ, ग्वालन वाली मार।।
नौटंकी कर ली बहुत, कुत्सित चलकर चाल।
तेरा अंत करीब है, छोड़ बजाना गाल।।
श्लेष चन्द्राकर,
पता:- खैरा बाड़ा, गुड़रु पारा, वार्ड नं.- 27,
महासमुन्द (छत्तीसगढ़) पिन - 493445,
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