दि ग्राम टुडे शिवम त्रिवेदी मण्डल ब्यूरो चीफ
गोंडा : पोषक आहार की कमी कहें या फिर देखभाल में लापरवाही। कुपोषण के शिकार हुए बच्चों की सेहत सुधारने के साथ ही संबंधित परिवार की कमाई का नया द्वार भी खोला जाएगा। राज्य पोषण मिशन के तहत सरकार ने कुपोषित बच्चों के अभिभावकों को उनकी पसंद के अनुसार गो-सेवा के लिए गाय दिलाने का फैसला किया है। गाय पालने से जहां बच्चों, बालिकाओं व महिलाओं को दूध मिल सकेगा, वही 900 रुपये प्रति गोवंश के हिसाब से हरमाह पशुपालन विभाग धनराशि भी उपलब्ध कराएगा। अस्थाई गो-आश्रय केंद्र में आश्रित गाय को वह पसंद करके पालन के लिए ले जा सकते हैं। इस योजना का लाभ अकेले गोंडा जिले में 3729 परिवारों को मिलेगा। इनसेट
नंबर गेम
बाल विकास परियोजना-17
कुल सेक्टर-109
आंगनबाड़ी केंद्र-3095
तैनात आंगनबाड़ी कार्यकर्ता-2870
जिले में अस्थाई गोवंश आश्रय स्थल-39
आश्रित गोवंश-4199 कुपोषण की स्थिति पर एक नजर
अतिकुपोषित बच्चे-2694
कुपोषित बच्चे-1035
कुल कुपोषित बच्चे-3729
एनीमिया से ग्रसित बालिकाएं व महिलाएं-1920
एक गाय पर 30 रुपये प्रतिदिन
- मुख्यमंत्री निराश्रित, बेसहारा गोवंश सहभागिता योजना के तहत कुपोषित बच्चों के पात्र व इच्छुक परिवारों को जिले में संचालित गो-आश्रय केंद्र से गाय उपलब्ध कराई जाएगी।
एक गाय पर प्रतिदिन 30 रुपये के हिसाब से 900 रुपये हरमाह लाभार्थी के खाते में ऑनलाइन भेजे जाएंगे। कुपोषित बच्चों के इच्छुक माता-पिता जिनके पास गाय पालने के लिए पर्याप्त जगह है उन्हें निश्शुल्क गाय उपलब्ध कराई जाएगी। लाभार्थी जिले में संचालित गो-आश्रय केंद्र में अपनी पसंद के अनुसार गाय ले सकते हैं। इसके लिए बाल विकास परियोजना अधिकारियों से सूची मांगी गई है।
-मनोज कुमार, जिला कार्यक्रम अधिकारी -जिले के 33 गो-आश्रय केंद्र में 4199 गोवंश संरक्षित हैं। मुख्यमंत्री निराश्रित, बेसहारा गोवंश सहभागिता योजना के तहत इच्छुक व्यक्तियों की सूची बाल विकास विभाग को उपलब्ध करानी है। सूची मिलने के बाद गाय का वितरण किया जाएगा।