अनिश्चित है अभी
कि कब तक रहेगा वाइरस
अनिश्चित है अभी
कि कब तक बनेगी वैक्सीन
अनिश्चित है
किन-किन देशों में
जाएँगी कितनी जानें
कितनी-कितनी बार
रुक जाएगा संसार
कैद होंगे मनुष्य घरों में
विस्थापित होंगे लोग
पलायन करेंगे मजदूर
फैलेगी महामारी
मरेंगे कितने-कितने
महाप्रलय सदैव ही
महानगरों से आरंभ होता है
ध्वस्त होती हैं
महासभ्यताएँ पहले
रह जाते हैं दूर-दराज
कंदराओं में जो लोग
विकास की ओर बढ़ते हैं वे
नये सिरे से
बचाए रखते हैं अपने स्वप्न
अपनी जिजीविषाएँ-सभ्यताएँ
वे अपने शब्द बचाए रखते हैं
सन्नाटे को चीरने के लिए।
युवा लेखिका
शुचि मिश्रा
जौनपुर