आदित्य का भोर तुममें ,
शशि सी शीतलता तुममें ।
घर की देवी हो तुम ,
आरती सी पावनता भी तुममें ।
संगीत का राग भी तुम्ही ,
हर रिश्ते का स्नेह भी तुममें ।
फूलों का पराग हो तुम ,
पंक्षियों का कलरव भी तुममें ।
प्रज्वलित दीप का प्रकाश हो तुम ,
प्रकाश की ज्योति का तेल तुममें ।
समयचक्र हो तुम सबका ,
समय का ठहराव भी तुममें ।
मस्ज़िद का अज़ान हो तुम ,
और शंख का शंखनाद भी तुममें ।
घर का मंदिर हो तुम ,
और मंदिर का भगवान भी तुममें ।
द्वारा : मेराज़ मुस्तफा
( न्यूज़ एडीटर दि ग्राम टुडे प्रकाशन समूह , वरिष्ठ पत्रकार , स्तम्भकार , लेखक , व कवि )
नर्गिस खान
( मौलिक रचना )
नर्गिस खान C / 0 रज्ज़ाक खान
बबई , होशंगाबाद ( मध्य प्रदेश )