सखी सहेली
चली पुष्प लोढ़ने
बाग में दिखे
दोऊ राजकुंवर
जो नैनन अपने
चलाए गोली
देखी पहले
एक चंचल सखी
दबाई नही
बात पेट में न रखी
शोर मचाई
पूरी झुंड बुलाई
झुंड के संग
सिय देखन आई
झाड़ी बीच से
दिखे वे सुकुमार
जाकर सिया
गौरी से मांग रही
वर रूप में
वहीं श्याम कुमार
विनती करें
गौरी से बारम्बार
राम ही मिले
वर सदा आंचल
रही पसार
गौरी सुन मनुहार
दिया आशीष
वर होगा साकार
स्वरचित
नीरज कुमार सिंह
देवरिया यू पी