क्या लिखूं मैं सरिता तुम्हारे बारे में,
तुम प्रेम की हो मूरत तुम्हें गाऊँ गीत तराने में।
क्या लिखूं कैसे उकेर दूं शब्दों में,
अनन्त भाव प्रेमसागर को कैसे समेट दूं पन्नों में।
क्या लिखूं जब तुम मेरे पास नहीं होती हो,
ऐसा लगता है तब जैसे रात भी मेरे साथ रोती हो।
क्या लिखूं कि मुझे तुमसे प्यार है कितना,
एक महीना तुम बिन लगता मुझको हज़ार है जितना।
क्या लिखूं किन लफ्ज़ों में लिखूं कि कितना इंतज़ार है,
ख़ामोशी से ढूंढता बेक़रार दिल बेज़ार है।
क्या लिखूं इस दिल की हालत जैसे आरज़ू बेहोश है,
मेरी डायरी जज़्बात से भीगी और कलम ख़ामोश है।
क्या लिखूं और कितना लिखूं दिल के एहसास को,
तुम बिन जो जगाती हैं कैसे लिखूं उन रातों की प्यास को।
@अतुल पाठक "धैर्य"
जनपद हाथरस(उ.प्र.)
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