वह बारिश की बूंदें
वह मेघों का गर्जन
वह मिट्टी की खुशबू
वह फूलों के उपवन
वह सतरंगी तितली
वह भौरों की गुनगुन
फिर ढूंढ लाओ वह
मनभावन सावन ।
वह फैनी के लच्छे
वह पकवानों की खुशबू
वह शंकर की भक्ति
वह गौरी का पूजन
वह मेहंदी के पत्ते
वह भांग की घोटन
फिर ढूंढ लाओ जाकर
वह मनभावन सावन ।
वह ढोलक की थापों
वह दादी का गायन
ढुनकता -ठुमकता
वह अल्हण सा बचपन
कमरें में छिपकर
वह घुंघरूँ का नर्तन
फिर ढूंढ लाओ जाकर
वह मनभावन सावन।
वह अमवा की डाली पर
रस्सी की उलझन
वह झूले की मस्ती
और सहेली से अनबन
वह दो पल की कट्टी
हमेंशा का बंधन
फिर ढूंढ लाओ जाकर
वह मनभावन सावन।
वह फूलों के गहने
वह हल्दी वह चंदन
वह नाजुक से हाथों में
छोटा सा दर्पण
वह गुड़िया के मेले में
जाने की बन-ठन
फिर ढूंढ लाओ जाकर
वह मनभावन सावन।
वह चूल्हे की रोटी
वह मिट्टी के बर्तन
भले हाथ गंदे थे
दिल तो थे पावन
वह ऊँचे विचारों का
सादा -सा जीवन
फिर ढूंढ लाओ जाकर
वह मनभावन सावन...।।
डाॅ0 अनीता शाही सिंह
प्रयागराज
17/7/2020