राउरो पनरे साल


पांच बरिस त तहार नेता जी अइसहींबा ,
      बाकिर के दस बरिसवा त$ वोइसहीं बा ।
       खड़खड़  खड़खड़  ठकठक  ठकठक ,
         टड़क चले भा टेम्पो रुकत ठहीं ठहिं बा।।


हमरे सोझा कहल सभका के रोजगार मिली ,
    निरोगी काया होखी अइसन उपचार मिली ।
      दर  दर   भटकत   से   झटकल  भटकत ,
        ना अस्पताल में सर संसाधन सही कहीँ बा ।।


बन्द परल मिलन के आँखियाँ राह जोहे ,
    केहू त आई छाती पर जामल घास सोहे ।
      टकटकी  टाह से लगा  के  देखत  देखत ,
        ना लउकत केहू कैंची लेके अब कहीं बा ।।


खम्हा पर तार बिजुरी के कहीं तार प खम्हा ,
     काहें बबुआ बात सुन भइल बाड़ अचम्हा ।
        सरकार ह$ चलत  चलत थाकल  थाकल 
           ना रफ़्तार में कहीं सही चलत अब रही बा ।।


टूटे असरा  जब  टूटे  घर में  लागल  ताला ,
    अबो त ओइसहीं बा लुटेरन के बोलबाला ।
      कहीं ठांय ठांय कहीं धांय धांय कहीं चुपके,
         ना डरे केहू बोलत अबो अब कहीं सही बा ।।


जवने खातिर अलगा भइनी उहे मिलल बखरा ,
    काहें नेता जी झटका दिहनी रउआ बड़का तगड़ा ।
      लुकाछिपी लुकाछिपी खेल में गइल गाड़ी आ झकड़ा ,
        राउरा लोगन के नेता जी सगरो होत बहा बही बा ।।


               
           ✍🏼
शैलेन्द्र कुमार तिवारी
ग्राम+पोस्ट : असहनी
जिला : छपरा ( सारण )
           बिहार


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