तुम चलो तुम्हारे संग हौसला तो चले।
मैं अगर थक गया काफिला तो चले।
चाँद सितारों से भरा हो बागबां तेरा,
साथ आँगन में खुशियों की धूप खिले।
भरा हो दामन दोस्त चाँदनी से तेरा,
सारे अरमानों की धूम से बारात चले ।
गम रहे कोसों दूर जिन्दगी से ऐ दोस्त,
महफिलें सजती रहें ऐसा गुलबहार चले।
तुम पहुंचो उस ऊंचाई तक जहाँ पर,
संग तेरे पीछे सारा हिंदुस्तान चले।
तुम चलो तुम्हारे संग हौसला तो चले।
मैं अगर थक गया काफिला तो चले।
अर्चना भूषण त्रिपाठी,"भावुक'"
मुम्बई